परियोजना कार्यालय पहुंचकर जिला कलेक्टर के नाम सौंपा ज्ञापन
बीजापुर - भोपालपटनम ब्लॉक के अंतर्गत संचालित एकीकृत बाल विकास परियोजना की लगभग 300 आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिकाएं एकजुट होकर परियोजना कार्यालय पहुंची और सेक्टर पर्यवेक्षिका श्रीमती अंकिता प्रजापति के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। कार्यकर्ताओं ने जिला कलेक्टर के नाम एक ज्ञापन सौंपते हुए पर्यवेक्षिका को तत्काल हटाने की मांग की है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, ग्राम गोल्लागुड़ा (मांझीपारा) स्थित आंगनबाड़ी केंद्र की कार्यकर्ता श्रीमती नरेंद्रा दुर्गम के साथ 25 अप्रैल को आयोजित सेक्टर बैठक में पर्यवेक्षिका द्वारा अभद्र व्यवहार किया गया और उन्हें बैठक से बाहर कर दिया गया। कार्यकर्ता का आरोप है कि यह सब महज इसीलिए हुआ क्योंकि उन्होंने पर्यवेक्षिका द्वारा मांगी गई राशि देने से इनकार कर दिया था।
मानदेय में कटौती और अवैध वसूली के गंभीर आरोप, परियोजना अधिकारी पर भी सवाल
श्रीमती दुर्गम ने बताया कि अप्रैल माह के मानदेय से बिना पूर्व सूचना सात दिनों की कटौती की गई है, जो कि पूर्णतः असंवैधानिक है। इसके अतिरिक्त, पर्यवेक्षिका पर सुपोषण राशि से प्रति माह अवैध वसूली और यात्रा भत्ता (टी.ए.) में कमीशन मांगने का भी आरोप लगाया गया है। दिसंबर 2024 से लेकर मार्च 2025 के बीच लगातार राशि की मांग करने और फोन पर धमकाने की घटनाएं भी उजागर हुई हैं।
कार्यकर्ताओं का यह भी कहना है कि उन्होंने इन घटनाओं की जानकारी मौखिक रूप से परियोजना अधिकारी को दी थी, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। इसके विपरीत, पर्यवेक्षिका का व्यवहार और भी अपमानजनक होता जा रहा है। कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया कि पर्यवेक्षिका उन्हें बार-बार ‘तुम सेक्टर प्रमुख हो, तुम्हारी जिम्मेदारी है’ कहते हुए प्रताड़ित करती हैं।
मानसिक उत्पीड़न से परेशान हैं कार्यकर्ता
शिकायत पत्र में यह भी उल्लेख किया गया है कि लगातार हो रहे दुर्व्यवहार और धमकियों के कारण आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाएं मानसिक रूप से बेहद परेशान हैं। उनका कहना है कि यदि शीघ्र उचित कार्रवाई नहीं की गई, तो वे बड़े स्तर पर आंदोलन करने को विवश होंगी।
क्या कहते हैं नियमानुसार प्रावधान?
शासन के नियमों के अनुसार, मानदेय में किसी भी प्रकार की कटौती पूर्व सूचना और वैध कारणों के बिना नहीं की जा सकती। साथ ही, किसी भी पर्यवेक्षिका द्वारा राशि की मांग या धमकी देना आपराधिक श्रेणी में आता है।
अब देखना यह होगा कि परियोजना अधिकारी और जिला प्रशासन इस शिकायत पर क्या कदम उठाते हैं और क्या संबंधित पर्यवेक्षिका के खिलाफ कोई कार्रवाई होती है या नहीं।
