कर्तव्य में लापरवाही और अनुपस्थिति पर कार्रवाई, तीन की वेतन वृद्धि रुकी, दो की सेवा समाप्त

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बीजापुर - जिले में शासकीय कार्यों में कर्तव्य लापरवाही और अनाधिकृत अनुपस्थिति के मामलों में जिला प्रशासन ने कठोर निर्णय लिया है। प्रशासन ने पांच कर्मचारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए तीन कर्मचारियों की वार्षिक वेतन वृद्धि रोक दी है, जबकि दो कर्मचारियों को शासकीय सेवा से तत्काल प्रभाव से बर्खास्त कर दिया है।

वेतन वृद्धि रोकी गई, कर्तव्य में लापरवाही पर कार्रवाई

पहली कार्रवाई श्री सीएस ठाकुर, निर्वाचन पर्यवेक्षक के खिलाफ की गई। श्री ठाकुर ने निर्वाचन संबंधी कार्यों में देयकों का भुगतान अत्यधिक विलंब से प्रस्तुत किया, जिसके कारण शासकीय कार्य प्रभावित हुआ। विभागीय जांच में पाया गया कि उन्होंने अपने पदीय दायित्वों का सही तरीके से पालन नहीं किया। कलेक्टर श्री संबित मिश्रा ने छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियम 1966 के तहत उनकी एक वार्षिक वेतन वृद्धि असंचयी प्रभाव से रोकने का आदेश दिया वहीं, श्री कृष्ण कुमार सलूर, सहायक ग्रेड-02 को भी विभागीय जांच में दोषी पाया गया, जिन्होंने जिला अभिलेखागार में सौंपे गए कार्यों में लापरवाही बरती, उनके खिलाफ आगामी एक वार्षिक वेतन वृद्धि रोकने का आदेश जारी किया गया।

श्री बलराम नेताम, सहायक ग्रेड-02 ने भी शासकीय कर्तव्यों में गंभीर लापरवाही दिखाई। विभागीय जांच के आधार पर उन्हें दो वार्षिक वेतन वृद्धि संचयी प्रभाव से रोकने की सजा दी गई।

अनाधिकृत अनुपस्थिति पर सख्त कार्रवाई

अनाधिकृत अनुपस्थिति के मामलों में भी प्रशासन ने कठोर कदम उठाए। श्री हरिचंद कश्यप, भृत्य ने 30 जनवरी 2023 से 7 अगस्त 2024 तक 556 दिन की अनाधिकृत अनुपस्थिति रखी। इससे पहले भी उन्हें 2012 और 2015 में अनुशासनहीनता के कारण निलंबित और बर्खास्त किया गया था हालांकि, न्यायालय के आदेश से उन्हें बहाल किया गया था। बार-बार अनुपस्थित रहने और कार्य में लापरवाही के कारण उनकी अनुपस्थिति को "अकार्य दिवस" घोषित किया गया और उन्हें तत्काल प्रभाव से शासकीय सेवा से बर्खास्त कर दिया गया। इसके अलावा, श्री विलसन मिंज, वाहन चालक ने 1 दिसंबर 2022 से 7 अगस्त 2024 तक 616 दिन की अनाधिकृत अनुपस्थिति रखी। विभागीय जांच में यह प्रमाणित हुआ कि उन्होंने छत्तीसगढ़ सिविल सेवा आचरण नियम 1965 का उल्लंघन किया। बार-बार अनुपस्थित रहने के कारण उनकी अनुपस्थिति अवधि को "अकार्य दिवस" घोषित किया गया और उन्हें शासकीय सेवा से बर्खास्त कर दिया गया।


जिला प्रशासन ने शासकीय कार्यों में लापरवाही और अनुशासनहीनता को बर्दाश्त नहीं करते हुए यह कार्यवाही की है ताकि भविष्य में यदि वे अपने पदीय दायित्वों का पालन नहीं करते हैं, तो उनके खिलाफ भी इसी प्रकार के कठोर कदम उठाए जायेगा।



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