छात्रावास अधीक्षक की लापरवाही से छात्र परेशान, तारलागुड़ा बालक छात्रावास में अव्यवस्थाओं का अंबार

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भोपालपटनम (के. श्रीनिवास राव) - तारलागुड़ा में आरएमएस द्वारा संचालित बालक छात्रावास की बदहाल स्थिति और अव्यवस्थाओं ने सरकारी व्यवस्थाओं की पोल खोल दी है। छात्रों को दी जाने वाली मूलभूत सुविधाओं की घोर अनदेखी की जा रही है, जिसके कारण छात्र बेहद परेशान हैं। सबसे गंभीर बात यह है कि इस पूरी लापरवाही के केंद्र में छात्रावास अधीक्षक अट्टेम सदानंदम खुद हैं, जिनका गैर-जिम्मेदाराना रवैया छात्रों के भविष्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है।


छात्रों को नहीं मिल रही भोजन और अन्य आवश्यक सुविधाएं



छात्रावास में कुल पंजीकृत छात्रों की संख्या 21 है, लेकिन वर्तमान में केवल 10 छात्र ही उपस्थित थे। जब केवल 10 छात्रों को भोजन के लिए पर्याप्त सुविधाएं उपलब्ध नहीं कराई जा रही हैं, तो यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि जब सभी छात्र उपस्थित होंगे तो स्थिति कितनी भयावह होगी। छात्रों का कहना है कि उन्हें सप्ताह में सिर्फ शनिवार और रविवार को ही नाश्ता मिलता है, जबकि बाकी दिनों में उन्हें सुबह भूखे ही रहना पड़ता है।


शासन के निर्देशों के अनुसार, छात्रावास के छात्रों को रोज़ाना पौष्टिक और संतुलित नाश्ता दिया जाना चाहिए। इसके अलावा, दोपहर और रात के भोजन में दाल, सब्जी, अचार, और पापड़ की व्यवस्था होनी चाहिए। लेकिन यहां हालात बिल्कुल विपरीत हैं। सुबह सिर्फ दाल और रात में सिर्फ एक सब्जी बनाई जाती है। छात्रों को न तो अचार मिलता है और न ही पापड़।


छात्रों का कहना है कि उन्हें साबुन, तेल और टूथपेस्ट जैसी मूलभूत चीजें भी समय पर नहीं दी जातीं। इससे उनकी स्वच्छता और स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। सरकार गरीब छात्रों की शिक्षा और उनके भरण-पोषण पर लाखों-करोड़ों रुपये खर्च कर रही है, लेकिन ऐसे लापरवाह अधीक्षकों की वजह से इन छात्रों को उनका हक नहीं मिल रहा है।


छात्रावास अधीक्षक की गैरमौजूदगी, कक्ष पर ताला


जब मीडिया की टीम ग्राउंड जीरो पर पहुंची, तो वहां ना कोई शिक्षक था, ना कोई कर्मचारी। अधीक्षक अट्टेम सदानंदम का कमरा बंद मिला और कक्ष पर ताला जड़ा हुआ था। यह स्पष्ट करता है कि अधीक्षक अपनी जिम्मेदारियों से पूरी तरह विमुख हैं और छात्रों की परेशानियों की उन्हें कोई चिंता नहीं है।


गौरतलब है कि वर्तमान अधीक्षक कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में बालक पोटाकेबिन तारलागुड़ा में अधीक्षक थे, लेकिन तत्कालीन आबकारी मंत्री एवं बस्तर प्रभारी मंत्री श्री कवासी लखमा के दौरे के दौरान छात्रों की शिकायत पर उन्हें हटा दिया गया था। इसके बावजूद, ऐसे लापरवाह अधिकारी को दोबारा छात्रावास का प्रभार सौंप दिया गया, जो कि एक गंभीर प्रशासनिक चूक है।


प्रशासनिक अधिकारी एक-दूसरे पर डाल रहे जिम्मेदारी


जब इस मामले में छात्रावास अधीक्षक से बात की गई, तो उन्होंने उपलब्धता के आधार पर भोजन व्यवस्था करने की बात कहकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया।


वहीं, जब इस बारे में खंड स्रोत समन्वयक से पूछा गया, तो उन्होंने इसे अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर का मामला बताया और इसे आरएमएस के अधीन बताया।


जब खंड शिक्षा अधिकारी से सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा कि यदि ऐसी लापरवाही सामने आई है, तो अधीक्षक के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। हालांकि, अब तक इस मामले में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है, जिससे यह साफ है कि प्रशासन इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं ले रहा है।


तारलागुड़ा बालक छात्रावास में अव्यवस्थाओं का यह मामला छात्रों के स्वास्थ्य और शिक्षा के साथ खिलवाड़ करने जैसा है। शासन की ओर से तय किए गए नियमों और सुविधाओं को लागू न करना छात्रावास अधीक्षक की गंभीर लापरवाही को दर्शाता है।


यदि जल्द ही इस समस्या का समाधान नहीं किया गया और लापरवाह अधीक्षक के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई, तो छात्रों का भविष्य अंधकारमय हो सकता है। प्रशासन को तत्काल संज्ञान ले ताकि भविष्य में किसी भी छात्रावास में इस तरह की लापरवाही दोबारा ना हो।



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