बीजापुर - जिले में प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा नियमों की अनदेखी का एक गंभीर मामला सामने आया है। भोपालपटनम जनपद पंचायत के प्रभारी सीईओ दिलीप उइके (डिप्टी कलेक्टर) बिना नंबर प्लेट की गाड़ी में घूम रहे हैं। बीते दो महीनों से उनकी Scorpio-N गाड़ी बिना पंजीकरण नंबर के सड़कों पर दौड़ रही है। हालांकि, गाड़ी पर "डिप्टी कलेक्टर" की प्लेट साफ देखी जा सकती है, लेकिन नियमों के अनुसार जरूरी नंबर प्लेट नदारद है। यह मामला प्रशासनिक लापरवाही और कानून की धज्जियां उड़ाने का जीता-जागता उदाहरण है। जहां आम नागरिकों को ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन पर जुर्माने और कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ता है, वहीं दूसरी ओर, जिले के एक वरिष्ठ अधिकारी खुद नियमों की अनदेखी कर खुलेआम सड़क पर बिना नंबर प्लेट की गाड़ी दौड़ते नजर आ रहे हैं।
सड़क सुरक्षा नियमों की अनदेखी, क्या डिप्टी कलेक्टर कानून से ऊपर हैं?
सड़क सुरक्षा को लेकर सरकार सख्त नियम लागू कर चुकी है। बिना नंबर प्लेट की गाड़ी चलाने पर भारतीय मोटर वाहन अधिनियम, 1988 के तहत कार्रवाई का प्रावधान है। आम नागरिकों पर इसका तत्काल प्रभाव पड़ता है पुलिस चालान काटती है, भारी जुर्माना लगाया जाता है, और कई मामलों में वाहन जब्त भी किया जा सकता है।
तस्वीर में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है कि दो प्रशासनिक वाहन जनपद पंचायत कार्यालय, भोपालपटनम के बाहर खड़े हैं। SDM की गाड़ी (सफेद वाहन) यह पूरी तरह से नियमों के अनुरूप नजर आ रही है। इसमें नंबर प्लेट स्पष्ट रूप से लगी हुई है। वहीं काली Mahindra Scorpio-N (डिप्टी कलेक्टर की गाड़ी) – इसमें "डिप्टी कलेक्टर" की प्लेट तो लगी हुई है, लेकिन नंबर प्लेट (पंजीकरण नंबर) नहीं है, जो कि मोटर वाहन अधिनियम का उल्लंघन है। जब स्वयं डिप्टी कलेक्टर ही ट्रैफिक नियमों को ताक पर रखकर बिना नंबर प्लेट की गाड़ी पर चल रहे हैं, तो आम जनता क्या सीखेगी? ऐसे में सवाल उठता है कि जब खुद प्रशासनिक अधिकारी इस तरह की लापरवाही करेंगे, तो कानून-व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी कौन निभाएगा?
आम जनता से कानून के पालन की उम्मीद, लेकिन अधिकारी खुद लापरवाह?
इस खबर से साफ है कि प्रशासनिक अधिकारियों के लिए नियमों का पालन करवाना जितना जरूरी है, उतना ही खुद उनके लिए भी नियमों का पालन करना आवश्यक है। अगर कानून का पालन करने के लिए आम जनता पर सख्ती की जाती है, तो प्रशासनिक अधिकारियों को भी इसका पालन करना चाहिए।
क्या प्रशासन आंखें मूंदे रहेगा या होगी सख्त कार्रवाई?
बीजापुर जिले में कानून-व्यवस्था लागू करने की जिम्मेदारी खुद प्रशासन की होती है। लेकिन जब नियम लागू करने वाले अधिकारी ही नियम तोड़ेंगे, तो आम नागरिकों से अनुशासन की उम्मीद कैसे की जा सकती है? परिवहन विभाग और पुलिस प्रशासन लगातार आम जनता को ट्रैफिक नियमों का पालन करने के लिए जागरूक करता है। चालान काटे जाते हैं, अभियान चलाए जाते हैं, लेकिन जब खुद प्रशासनिक अधिकारी इन नियमों की अवहेलना करें, तो यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि "कानून क्या केवल आम नागरिकों के लिए ही बनाए गए हैं?"
फिलहाल, इस मामले में संबंधित विभाग के जिम्मेदार अधिकारी कोई भी बयान देने से बच रहे हैं। यह देखना बाकी है कि क्या जिले के वरिष्ठ अधिकारी इस विषय में कोई कार्रवाई करेंगे या फिर यह मामला रुतबे और रसूख की आड़ में दबा दिया जाएगा?
