बीजापुर - शिक्षा विभाग की अनदेखी और बालक आश्रमों के बच्चों की देखभाल में लापरवाही का परिणाम एक बार फिर सामने आया है।
भोपालपटनम विकासखंड के वरदली में संचालित बालक आश्रम एड़ापल्ली में पढ़ने वाले दूसरी कक्षा के छात्र करण कुरसम की मौत ने शिक्षा विभाग और प्रशासन की लापरवाही को एक बार और उजागर कर दिया है।
फेफड़ों में सूजन और सांस लेने में तकलीफ से जूझते मासूम को समय पर उचित इलाज नहीं मिल सका, जिससे उसकी जान चली गई।
करण कुरसम जो नेशनल पार्क एरिया सण्ड्रा का निवासी और एड़ापल्ली आश्रम में अध्ययनरत था। बच्चे की तबियत आश्रम में अचानक बिगड़ गई। फेफड़ों में सूजन और सांस लेने में दिक्कत होने के बाद उसे शाम 7:30 बजे भोपालपटनम के समुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में भर्ती कराया गया। लेकिन गंभीर हालत को देखते हुए उसे बेहतर इलाज के लिए बीजापुर , वहां से मेकॉज डिमरापाल रेफर कर दिया गया, जहां इलाज के दौरान बच्चे ने सुबह 10:27 बजे दम तोड़ दिया।
इस घटना ने बालक आश्रमों में बुनियादी सुविधाओं की कमी और बच्चों की अनदेखी को फिर से उजागर कर दिया है। आश्रमों में न तो नियमित जांच की व्यवस्था है और न ही बीमार बच्चों को प्राथमिक उपचार देने के लिए कोई कदम उठाए जाते हैं। अधीक्षक समय पर सक्रिय होते तो करण की जान बचाई जा सकती थी।
ऐसे मामलों में जिम्मेदार अधिकारियों, कर्मचारियों पर कार्रवाई क्यों नहीं होती?
क्या शिक्षा विभाग मासूमों की जिंदगी की कीमत समझने में नाकाम है?
ऐसी घटनाएं केवल एक मासूम की मौत नहीं, बल्कि शिक्षा विभाग और प्रशासन की घोर लापरवाही है। अब सवाल यह उठता है कि क्या सरकार और विभाग इस हादसे से सबक लेंगे या ऐसी घटनाओं का सिलसिला जारी रहेगा?
