माध्यमिक शाला सण्ड्रापल्ली के नाम पर 478000 (चार लाख अठहत्तर हजार) रूपए जारी की गई थी इस राशि का उपयोग माध्यमिक शाला भवन में आवश्यकतानुसार मरम्मत कार्य कराया जाना था। प्रधानाध्यापक ने पूर्व से बने दो कमरे जिसके ऊपर सिमेंट सीट लगे हुए थे, जिस पर स्कूल में अध्ययनरत बच्चों के लिए भोजन बनाया जाता था, उस का जतन कर दिया लेकिन सण्ड्रापल्ली की माध्यमिक शाला में इस योजना के तहत दी गई राशि का उपयोग विद्यालय के मुख्य भवन में नहीं किया गया।
मरम्मत कार्य में अनियमितताएं, धनराशि के दुरुपयोग का आरोप, प्रशासनिक लापरवाही और भ्रष्टाचार का है। ऐसी स्थितियां न केवल शिक्षा की गुणवत्ता को प्रभावित करती हैं, बल्कि सरकार की योजनाओं के प्रति लोगों के विश्वास को भी कमजोर करती हैं। इस मामले की गहन जांच कर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि सरकारी योजनाओं का लाभ सही तरीके से जरूरतमंद छात्रों तक पहुंचे। साथ ही, गांव में बच्चों के लिए बेहतर शैक्षिक माहौल सुनिश्चित करने के लिए त्वरित कदम उठाए जाने की आवश्यकता है।
"मुख्यमंत्री स्कूल जतन योजना के अंतर्गत 478000 (चार लाख अठाहत्तर हजार) की स्वीकृति दी गई थी जिसमें 360000 (तीन लाख साठ हजार) का भवन में कार्य किया गया है। माध्यमिक शाला भवन में मरम्मत कार्य ज्यादा और स्वीकृत 478000 (चार लाख अठाहत्तर हजार) रुपए जो की कम होने के कारण माध्यमिक शाला भवन में कार्य नहीं करते हुए अन्यत्र कराया गया है जिसमें टाइल्स, पुट्टी, और नये सीट का कार्य किया गया है। जो पुराने सीमेंट के सीट थे उन्हें ठेकेदार लेकर गया है जो फटे हुए सीट 3-4 बचे हुए थे उन्हें शाला प्रबंधन समिति अध्यक्ष अपने पास रखा हैं।" - प्रधानाध्यापक श्री बी.आर. गोन्दी जी
"बच्चों के लिए भोजन बनाने के स्थान पर पुराने सीमेंट सीट को निकालकर टीने के 18-20 शीट, लगभग 130-150 के आसपास टाइल्स, और पुट्टी का काम किया गया है। सीमेंट सीटों को ठेकेदार लेकर चला गया, जब मैं उससे पूछा तो उसने कहा कि यह पुराने सीटों को ऑफिस में जमा करना है। निकालने के समय पर जो टूटे हुए सीट के टुकड़ों को मैं लेकर आया हूं। बाद में आप के माध्यम से पता चला कि मरम्मत का कार्य माध्यमिक शाला भवन में किया जाना था जो कि प्रधानाध्यापक द्वारा मुझे नहीं बताते हुए दूसरे जगह पर मरम्मत का कार्य कराया।"
- अध्यक्ष श्री पूनेम रामचंद्रम जी
इस पूरी घटना से यह सवाल उठता है कि सरकारी योजनाओं के तहत स्वीकृत राशि का सही उपयोग क्यों नहीं किया गया?
឵ठेकेदारों को देने से कार्य की गुणवत्ता पर असर पड़ेगा यहां सोचकर ही प्रशासन ने इस मरम्मत कार्य को टेंडर प्रक्रिया नहीं करते हुए राशि को स्कूलों के खाते में डाला गया इसके बावजूद भी मरम्मत का कार्य ठेकेदारों को क्यों दिया गया ?
पुराने सामग्री या फिर बची हुई सामग्री सरकारी संपत्ति है प्रधानाध्यापक की यह भी जिम्मेदारी है कि उसे संभाल कर रखा जाए किंतु ठेकेदार द्वारा पुराने निर्माण सामग्री को लेकर जाने देना किसकी जिम्मेदारी है ?
यह घटना सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में पारदर्शिता और निगरानी की आवश्यकता को उजागर करती है। अब देखना यह होगा कि संबंधित विभाग इस मामले में क्या कदम उठाते हैं।
