गंगालूर में निर्माणाधीन मकान तोड़ने पर प्रशासन के खिलाफ ग्रामीणों का चक्काजाम, मुआवजा और न्याय की मांग

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छत्तीसगढ (बीजापुर) - गंगालूर ग्राम में सोमवार को प्रशासन द्वारा एक निर्माणाधीन मकान को गिराने की घटना ने पूरे गांव को आंदोलित कर दिया। तहसीलदार द्वारा बिना पूर्व सूचना के सोमलु हेमला का मकान अतिक्रमण कार्रवाई के तहत बुलडोजर से तोड़ दिया गया। इस घटना के बाद मंगलवार को सैकड़ों ग्रामीणों ने सड़कों पर उतरकर चक्काजाम किया और जिला प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की।


घटना का कारण और ग्रामीणों का आक्रोश




सोमलु हेमला ने बताया कि उनके पुरखों का घर बारिश में कमजोर होकर गिर गया था। उसी जगह पर वह एक-एक पाई जोड़कर नया मकान बना रहे थे, जिसकी अनुमति ग्राम सभा ने दी थी। सोमलु का दावा है कि उन्होंने 2 अक्टूबर 2024 को ग्राम सभा में आवेदन दिया था, जिसे सभी गांवों की सहमति से मंजूरी मिली थी। इसके बावजूद तहसीलदार ने बुलडोजर चलाकर निर्माणधीन मकान को धराशायी कर दिया।


चक्काजाम और प्रदर्शन




मंगलवार सुबह 7 बजे से गंगालूर के 22 पारा के सैकड़ों ग्रामीण कोवापारा चौक पर जमा होकर, चक्काजाम कर विरोध प्रदर्शन शुरू किया। उन्होंने मुआवजा, जमीन, और मकान का पुनर्निर्माण करने की मांग की।


बाजार और यातायात बाधित




मंगलवार को गंगालूर का साप्ताहिक बाजार होने के कारण बड़ी संख्या में लोग वहां पहुंचे थे। चक्काजाम के कारण बाजार जाने वाले व्यापारी और यात्री फंसे रहे। गाड़ियों की लंबी कतारें लग गईं। बाजार के कई व्यापारियों ने भी प्रदर्शन में शामिल होकर ग्रामीणों का समर्थन किया।


प्रशासन का हस्तक्षेप और समाधान का आश्वासन


चक्काजाम और विरोध प्रदर्शन के बाद तहसीलदार, पुलिस प्रशासन, और अन्य अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर ग्रामीणों से बातचीत की। प्रशासन ने पीड़ित परिवार को दो दिनों में न्याय दिलाने का आश्वासन दिया, जिसके बाद प्रदर्शन को समाप्त किया गया। ग्रामीणों ने स्पष्ट किया है कि अगर दो दिनों के भीतर प्रशासन ने मुआवजा और मकान पुनर्निर्माण की उनकी मांगों को पूरा नहीं किया, तो वे जिला मुख्यालय में बड़ा धरना प्रदर्शन करेंगे।


 "ग्राम सभा ने इस निर्माण को मंजूरी दी थी, लेकिन तहसीलदार और पटवारी ने मनमानी करते हुए मकान गिरा दिया। अगर न्याय नहीं मिला, तो हम मजबूर होकर जिला मुख्यालय में धरना देंगे।" - सरपंच राजू कलमू


"प्रशासन ने बिना सूचना के मेरा घर तोड़ दिया। अगर न्याय नहीं मिला तो मैं पूरे गांव के साथ आंदोलन करूंगा।" -पीड़ित सोमलु हेमला



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