बीजापुर - जिले के सुदूर और दुर्गम क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं को पहुंचाने के उद्देश्य से स्वास्थ्य विभाग ने पहल करते हुए नेशनल पार्क क्षेत्र में स्वास्थ्य शिविर का सफल आयोजन किया। यह शिविर भोपालपटनम ब्लॉक अन्तर्गत उपस्वास्थ्य केंद्र सण्ड्रा और बड़ेकाकलेड के आश्रित ग्रामों में 19 मार्च से 22 मार्च तक आयोजित किया गया। इस दौरान 909 ग्रामीणों को विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं के लिए उपचार प्रदान किया गया, साथ ही स्कूल के छात्रों और आंगनवाड़ी बच्चों की सिकलिंग जांच भी की गई।
श्रीमान कलेक्टर महोदय के आदेश और डॉ. चलापति राव (बीएमओ) के कुशल मार्गदर्शन में यह स्वास्थ्य शिविर संपन्न हुआ। शिविर का मुख्य उद्देश्य उन क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाना था, जहां सामान्य दिनों में चिकित्सा सुविधाएं आसानी से उपलब्ध नहीं हो पातीं। चार दिनों तक चले इस शिविर में स्वास्थ्य टीम ने दिन-रात मेहनत कर ग्रामीणों को स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराई।
कठिन परिस्थितियों में निर्बाध सेवा
स्वास्थ्य शिविर को सफल बनाने के लिए टीम को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। क्षेत्र की सड़कें जर्जर होने के कारण चार पहिया वाहन का उपयोग सम्भव नहीं था। जहां संभव हुआ, वहां चार पहिया से पहुंचा गया, जहां चार पहिया नहीं जा सकती थीं, वहां बाइक का सहारा लिया गया, और जहां बाइक भी नहीं पहुंच सकती थी, वहां स्वास्थ्य कर्मी पैदल चलकर ग्रामीणों तक पहुंचे। इन कठिनाइयों के बावजूद टीम ने अपनी सेवाएं निर्बाध रूप से जारी रखीं।
शिविर के दौरान विभिन्न बीमारियों की जांच और उपचार किया गया। इसमें बुखार (30 मरीज), मलेरिया (PF 08, PV 01), चर्म रोग (180), शरीर और कमर दर्द (224), उल्टी-दस्त (08), पेशाब में जलन (03), सर्दी-खांसी (180), कमजोरी (202), मोतियाबिंद (08), क्लेफ्ट लिप (01), गर्भवती महिलाओं की जांच (ANC 30), प्रसव उपरांत जांच (PNC 19), घाव (06), उच्च रक्तचाप (06), और मधुमेह (03) शामिल हैं। इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि शिविर में ग्रामीणों की विविध स्वास्थ्य समस्याओं का समाधान किया गया।
पहाड़ी क्षेत्र में विशेष चुनौतियां
नेशनल पार्क और पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण इस शिविर में कई विशेष चुनौतियां थीं। शिविर सुबह से ही लगा दी जाती थी लेकिन ग्रामीण महुआ एकत्रित करने जाते थे जिस कारण ग्रामीण शाम 5 से 6 बजे के बाद ही गांव लौटते थे। इस वजह से स्वास्थ्य टीम को देर रात तक काम करना पड़ा। क्षेत्र में बिजली की सुविधा नहीं होने के कारण रात होने पर मोबाइल की रोशनी का उपयोग कर इलाज किया गया।
इस शिविर में स्वास्थ्य टीम और फील्ड कार्यकर्ताओं ने अहम भूमिका निभाई। RBSK टीम के साथ-साथ डॉ. पी. चंद्रशेखर, अजय कंवर, भारती कृषक (फार्मासिस्ट), सुनील हरदेल (लैब टेक्नीशियन), हेमलता मंडावी, प्रतिमा हुपेंडी (ANM), महेश भगत (फील्ड कॉर्डिनेटर), शैलेश कुमार, ब्रिजेश कोरम (RHO मेल), नागुबाई वासम (RHO फीमेल), संतोष झाड़ी (BC), देवेंद्र कोरम (MT), गजेंद्र बुरका (कुक) और समस्त मितानिनों ने दिन-रात मेहनत की। इनके प्रयासों से ही यह शिविर सफल हो सका।
