बीजापुर - छत्तीसगढ़ में नक्सल उन्मूलन की दिशा में एक और बड़ी सफलता मिली है। हाल ही में हुई मुठभेड़ में 26 माओवादियों के मारे जाने के बाद आज 22 नक्सलियों ने पुलिस और सुरक्षा बलों के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया। इन आत्मसमर्पित माओवादियों में AOB डिवीजन पार्टी सदस्य, TSC (तेलंगाना स्टेट कमेटी) के सदस्य, प्लाटून नंबर 09 और 10 के सदस्य, गंगालूर एरिया कमेटी और पामेड़ एरिया कमेटी के कार्यकर्ता शामिल हैं।
सबसे बड़ी बात यह है कि आत्मसमर्पण करने वालों में 6 माओवादी 11 लाख रुपये के इनामी हैं, जो संगठन में लंबे समय से सक्रिय थे।
आत्मसमर्पण का कारण - विकास कार्यों का प्रभाव और संगठन से मोहभंग
आत्मसमर्पण के पीछे कई कारण सामने आए हैं। अंदरूनी क्षेत्रों में सरकार द्वारा नवीन सुरक्षा कैंपों की स्थापना और विकासोन्मुखी कार्यों का विस्तार इसका प्रमुख कारण रहा है। सड़कों का निर्माण, परिवहन सुविधाओं का विस्तार, पानी और बिजली की उपलब्धता के साथ-साथ छत्तीसगढ़ शासन की जनकल्याणकारी योजनाएं अब ग्रामीणों तक पहुंच रही हैं। सुरक्षा बलों का ग्रामीणों के साथ सकारात्मक संवाद और सामुदायिक पुलिसिंग के तहत दी जा रही सुविधाओं ने माओवादियों के मन में भरोसा पैदा किया है।
इसके अलावा, छत्तीसगढ़ शासन की आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति का व्यापक प्रचार-प्रसार भी प्रभावी साबित हुआ है। संगठन के विचारों से बढ़ता मोहभंग, आंतरिक मतभेद और समाज की मुख्यधारा में सुरक्षित पारिवारिक जीवन जीने की चाह ने इन माओवादियों को आत्मसमर्पण के लिए प्रेरित किया।
आत्मसमर्पित माओवादियों की सूची और उनकी भूमिका
आत्मसमर्पण करने वाले 22 माओवादियों में कई बड़े नाम शामिल हैं, जो संगठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे थे। इनमें से कुछ पर लाखों रुपये का इनाम घोषित था।
1. आयतू पुनेम उर्फ गट्टा (26 वर्ष) - एओबी डिवीजन, प्लाटून नंबर 01 पार्टी सदस्य, 2 लाख का इनाम, 2014 से सक्रिय।
2. पाण्डू कुंजाम (18 वर्ष) - प्लाटून नंबर 09 पार्टी सदस्य, 2 लाख का इनाम, 2011 से सक्रिय।
3. कोसी तामो (20 वर्ष) - प्लाटून नंबर 10 पार्टी सदस्य, 2 लाख का इनाम, 2022 से सक्रिय।
4. सोना कुंजाम (18 वर्ष) - तेलंगाना स्टेट कमेटी, प्लाटून पार्टी सदस्य, 2 लाख का इनाम, 2016 से सक्रिय।
5. लिंगेश पदम उर्फ मेसू (26 वर्ष) - गंगालूर एरिया कमेटी, सप्लाई टीम सदस्य, 2 लाख का इनाम, 2010 से सक्रिय।
6. टिबरू राम माड़वी उर्फ बड्डे (35 वर्ष) - कमकानार आरपीसी जनताना सरकार अध्यक्ष, 1 लाख का इनाम, 2005 से सक्रिय।
7. लखमा कड़ती (35 वर्ष) - ग्राम कमकानार डीएकेएमएस अध्यक्ष, 2005 से सक्रिय।
8. आयता पण्डा (45 वर्ष) - ग्राम जीडपल्ली डीएकेएमएस अध्यक्ष, 2001 से सक्रिय।
9. मंगू हेमला (37 वर्ष) - हिरमागुण्डा आरपीसी मिलिशिया प्लाटून ‘ए’ सेक्शन कमांडर, 2003 से सक्रिय।
10. भीमा पोटाम (27 वर्ष) - हिरमागुण्डा आरपीसी मिलिशिया प्लाटून ‘बी’ सेक्शन कमांडर, 2009 से सक्रिय।
11. राजू वेको (33 वर्ष) - हिरमागुण्डा आरपीसी मिलिशिया प्लाटून ‘सी’ सेक्शन कमांडर, 2006 से सक्रिय।
12. बुधरी मड़कम (27 वर्ष) - हिरमागुण्डा आरपीसी सीएनएम सदस्य, 2009 से सक्रिय।
13. हिड़मा मण्डावी (45 वर्ष) - हिरमागुण्डा भूमकाल मिलिशिया कमांडर, 2001 से सक्रिय।
14. जोगा माड़वी (30 वर्ष) - हिरमागुण्डा आरपीसी मिलिशिया प्लाटून ‘सी’ सेक्शन सदस्य, 2007 से सक्रिय।
15. पोन्जा तामो (30 वर्ष) - कोण्डापल्ली आरपीसी जनताना सरकार सदस्य, 2012 से सक्रिय।
16. हुंगा मुचाकी (27 वर्ष) - कोण्डापल्ली आरपीसी सीएनएम सदस्य, 2005 से सक्रिय।
17. महेश एसम (21 वर्ष) - ग्राम कोनी जीआरडी सदस्य, 2009 से सक्रिय।
18. चैतू मोडियाम (27 वर्ष) - कोण्डापल्ली आरपीसी जनताना सरकार सदस्य, 2005 से सक्रिय।
19. रामबाबू वेलकम (24 वर्ष) - ग्राम जीडपल्ली जीआरडी कमांडर, 2016 से सक्रिय।
20. आयतू तामो (25 वर्ष) - ग्राम कोण्डापल्ली जीआरडी सदस्य, 2009 से सक्रिय।
21. लच्छू मड़कम (25 वर्ष) - ग्राम कोण्डापल्ली जीआरडी सदस्य, 2009 से सक्रिय।
22. वेंकट स्वामी पुनेम (53 वर्ष) - कोण्डापल्ली डीएकेएमएस अध्यक्ष/मूलवासी बचाओ मंच अध्यक्ष, 1997 से सक्रिय।
इनमें से कुछ माओवादियों के खिलाफ कई अपराध दर्ज हैं और उनके नाम स्थाई वारंट भी जारी किए गए थे।
1. वेंकट स्वामी पुनेम: 6 अपराध पंजीबद्ध, 6 स्थाई वारंट।
2. लिंगेश पदम: 2 अपराध पंजीबद्ध, 2 स्थाई वारंट, 10,000 का इनाम।
3. टिबरू राम माड़वी: 3 अपराध पंजीबद्ध, 3 स्थाई वारंट, 10,000 का इनाम।
नियद नेल्लानार योजना और नक्सल उन्मूलन नीति का असर
छत्तीसगढ़ शासन की नक्सल उन्मूलन नीति और नियद नेल्लानार योजना इस आत्मसमर्पण की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। यह योजना नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में शांति और विकास को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई है। इसके तहत आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों को पुनर्वास, रोजगार और शिक्षा जैसी सुविधाएं प्रदान की जाती हैं। साथ ही, नक्सल हिंसा से प्रभावित लोगों के लिए राहत और पुनर्वास की व्यवस्था भी की जाती है। इस योजना ने माओवादियों को हिंसा का रास्ता छोड़कर समाज की मुख्यधारा में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया है।
जिले में तेजी से हो रहे विकास कार्य, सड़कों का निर्माण और ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंच रही सुविधाओं ने माओवादियों पर गहरा प्रभाव डाला है। संगठन के भीतर बढ़ते मतभेद और विचारधारा से मोहभंग ने उन्हें आत्मसमर्पण के लिए मजबूर किया।
