गोल्लागुड़ा हाई स्कूल में 10 महीने से अंग्रेजी की पढ़ाई ठप, अब प्रयोगशाला शिक्षिका ने थामी बच्चों की पढ़ाई की जिम्मेदारी

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बीजापुर - शिक्षक केवल पढ़ाने का कार्य नहीं करता, बल्कि वह बच्चों के भविष्य को गढ़ने की जिम्मेदारी भी निभाता है। समाज की सबसे मजबूत नींव शिक्षा ही होती है। लेकिन जब शिक्षक ही अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोड़ ले, तो इसका सीधा असर बच्चों के सपनों पर पड़ता है।

ऐसा ही एक मामला सामने आया है बीजापुर जिले अन्तर्गत भोपालपटनम ब्लॉक के हाई स्कूल गोल्लागुड़ा से, जहां पदस्थ अंग्रेजी व्याख्याता कामेश्वर अग्गीवार पर लापरवाही के गंभीर आरोप लगे हैं।

मिली जानकारी के अनुसार जनवरी माह में कामेश्वर अग्गीवार को पोटा केबिन पेगड़ापल्ली में प्रभारी अधीक्षक बनाया गया लेकिन उसके बाद से अब तक लगभग 10 महीनों से अपने मूल संस्था हाई स्कूल गोल्लागुड़ा में एक भी दिन बच्चों को पढ़ाने नहीं पहुंचे। 10 महीनों से लगातार शिक्षक की अनुपस्थिति के कारण स्कूल में अंग्रेजी विषय की पढ़ाई पूरी तरह ठप हो गई है।

छात्रों का कहना है कि इतने लंबे समय से अंग्रेजी विषय की कक्षाएं न होने से उन्हें परीक्षा की तैयारी में भारी परेशानी हो रही है। फिलहाल प्रयोगशाला सहायक शिक्षिका रानू मैडम बच्चों को अंग्रेजी पढ़ा रही हैं, लेकिन बच्चों के अनुसार अंग्रेजी विषय की पढ़ाई कमजोर हो रही है। एक छात्र ने बताया कि “ कामेश सर जनवरी महीने से नहीं आ रहे हैं, अंग्रेजी समझने में बहुत परेशानी होती है। अब परीक्षा की तैयारी भी मुश्किल हो रही है।”

जब इसी विषय पर कामेश्वर अग्गीवार से बात कि गई तो उन्होंने बताया कि गोल्लागुड़ा से पेगड़ापल्ली की दूरी 15 किलोमीटर होने के कारण वहां जाकर पढ़ाना संभव नहीं है। नियमानुसार 8 से 10 किलोमीटर के दायरे में बच्चों को शिक्षा देना होता है। इस विषय पर मैंने पूर्व में बीईओ और एबीईओ को अवगत कराया था। बीईओ कार्यालय से स्पष्टीकरण भी निकाला गया था जिसकी जवाब दे दिया हूं, मेरे संस्था के ही हाई स्कूल में पढ़ा रहा हूं।

जांच के बाद होगी कार्रवाई - धनेलिया


इस मामले में जब जिला शिक्षा अधिकारी लखन लाल धनेलिया से बात की गई तो उन्होंने कहा कि “मूल संस्था में शिक्षक को अध्ययन कार्य करते हुए प्रभार अधीक्षक का दायित्व भी निभाना होता है। मामले की जांच कराई जाएगी और यदि संबंधित शिक्षक दोषी पाए जाते हैं, तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।”

उन्होंने यह भी कहा कि विभाग यह सुनिश्चित करेगा कि किसी भी विद्यालय में शिक्षक की अनुपस्थिति से बच्चों की शिक्षा प्रभावित न हो।

एक शिक्षक ज्ञान के साथ साथ बच्चों को जीवन के मूल्य और आत्मविश्वास भी जगाता है। शिक्षा की नींव मजबूत तभी होगी जब शिक्षक अपनी जिम्मेदारियों को पूरी तरह निभाएंगे।

शिक्षा विभाग इस मामले को गंभीरता से ले ताकि बच्चों को एक शिक्षक और बेहतर पढ़ाई का लाभ मिल सके और कोई भी शिक्षक अपने कर्तव्यों से लापरवाह न हो क्योंकि सच यही है कि शिक्षा वह रोशनी है, जो अंधकार मिटाती है, और शिक्षक वह दीपक हैं जो इस रोशनी को जलाए रखते हैं।


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