फर्ज के आगे त्यौहार छोटा, रक्षाबंधन पर ड्यूटी निभा रहीं बहनों का ‘ब्लड मैन’ ने बढ़ाया मान

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बीजापुर - त्यौहार आते ही घरों में सजावट, बाजारों में रौनक और रिश्तों में मिठास घुल जाती है। रक्षाबंधन पर तो भाई-बहन के रिश्ते की डोर और भी मजबूत हो जाती है। लेकिन बीजापुर में इस बार का रक्षाबंधन कुछ अलग ही तस्वीर लेकर आया। यहां कोतवाली थाना और जिला अस्पताल में महिला पुलिसकर्मी और महिला स्वास्थ्यकर्मी अपने-अपने कर्तव्य की डोर से बंधी रहीं।

इन बहनों ने अपने घर जाकर भाइयों को राखी बांधने का मौका त्याग दिया, क्योंकि उनके लिए मरीजों की देखभाल और शहर की सुरक्षा सबसे पहले थी। इस त्याग और सेवा भावना को सलाम करते हुए समाजसेवी और ब्लड मैन के नाम से मशहूर राजेन्द्र कुमार गांधी उर्फ राजू गांधी ने रक्षाबंधन का त्यौहार उनके बीच जाकर मनाया।

राजू गांधी मिठाई, उपहार और मुस्कान लेकर सीधे कोतवाली और जिला अस्पताल पहुंचे। वहां उन्होंने महिला पुलिसकर्मियों और महिला स्वास्थ्यकर्मी बहनों से राखी बंधवाई और बदले में उपहार भेंट कर उनका मनोबल भी बढ़ाया। इससे माहौल भावुक भी हुआ और खुशियों से भी भर गया। महिला पुलिसकर्मियों ने मुस्कुराते हुए कहा आज भाई घर से दूर हैं, लेकिन ड्यूटी पर एक और भाई मिल गया। वहीं अस्पताल के वार्डों में भी यह खुशी पहुंची। मरीजों और उनके परिजनों ने इस दृश्य को देखकर कहा रिश्ते सिर्फ खून से नहीं, सेवा और त्याग से भी बनते हैं।

राजू गांधी का समाजसेवा का सफर किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं। समाजसेवा की प्रेरणा उन्हें मारुति कापेवार जी ( सेवा निवृत्त शिक्षक) से मिली, जिन्होंने उन्हें सिखाया कि जरूरतमंद की मदद करना ही सबसे बड़ा धर्म है। वहीं रक्तदान की प्रेरणा उन्हें डॉ. बी.एल. शर्मा जी से मिली, जिन्होंने उन्हें जीवन बचाने के लिए रक्तदान की अहमियत समझाई।

आज वे खुद 26 बार रक्तदान कर चुके हैं और 13,000 से अधिक लोगों को रक्तदान के लिए प्रेरित कर चुके हैं। राज्यपाल से सम्मान पा चुके हैं और जिला व पुलिस प्रशासन भी उन्हें स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस जैसे अवसरों पर कई बार सम्मानित करता रहा है।

रक्तदान शिविरों में सक्रिय भागीदारी, गरीबों की मदद, और जरूरतमंदों के लिए हर वक्त तैयार रहना यही है ‘ब्लड मैन’ राजू गांधी की पहचान। वे सिर्फ खून ही नहीं देते, बल्कि दूसरों के जीवन में खुशी और उम्मीद भी भरते हैं।

रक्षाबंधन के इस मौके पर उनकी पहल सिर्फ एक सोच नहीं, बल्कि एक संदेश है। त्यौहार का असली आनंद केवल अपने परिवार के साथ नहीं, बल्कि उन तक भी पहुंचाना चाहिए, जो अपने कर्तव्य के कारण त्यौहार से दूर रह जाते हैं।


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