PLGA कंपनी नंबर 02 के डिप्टी कमांडर राकेश सहित 24 माओवादियों ने किया आत्मसमर्पण, 87.50 लाख के इनामी माओवादियों ने छोड़ा हथियार

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बीजापुर - जिले में नक्सल उन्मूलन अभियान को बड़ी सफलता मिली है। PLGA कंपनी नंबर 02 के डिप्टी कमांडर राकेश सहित कुल 24 माओवादियों ने पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण किया है। इन आत्मसमर्पित माओवादियों में 20 इनामी नक्सली शामिल हैं, जिन पर कुल 87.50 लाख रुपये का इनाम घोषित था।

इस आत्मसमर्पण में माओवादी संगठन के PLGA बटालियन नंबर 01 के सदस्य, माड़ डिवीजन कंपनी नंबर 07 के पीपीसीएम, एसीएम, सीएनएम अध्यक्ष, केएमएस अध्यक्ष, एलओएस कमांडर और कई आरपीसी क्षेत्रीय संगठन के सदस्य शामिल हैं।

माओवादियों का आत्मसमर्पण, प्रभावी नीतियों और विकास ने बदली सोच

शासन की प्रभावी आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति और "नियद नेल्लानार" योजना के व्यापक प्रचार-प्रसार का असर अब जमीन पर दिखने लगा है। सुरक्षा बलों की रणनीति, सरकार की विकास योजनाओं और माओवादी संगठन के भीतर गहराते मतभेदों ने कई नक्सलियों को हिंसा का रास्ता छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया है।

सरकार द्वारा घोषित पुनर्वास नीति के तहत आत्मसमर्पण करने वाले प्रत्येक माओवादी को 50,000 रुपये की प्रोत्साहन राशि का चेक भी प्रदान किया गया, जिससे वे सम्मानजनक जीवन की ओर अग्रसर हो सकें।


प्रमुख माओवादियों ने किया आत्मसमर्पण, वर्षों से थे सक्रिय

आत्मसमर्पण करने वालों में कई कुख्यात और शीर्ष श्रेणी के माओवादी शामिल हैं, जो लंबे समय से नक्सली गतिविधियों में सक्रिय थे और जिन पर लाखों रुपये के इनाम घोषित थे।

आत्मसमर्पण करने वालों में राकेश उर्फ पांडू प्रमुख नाम है, जो पीएलजीए कंपनी नंबर 02 का डिप्टी कमांडर था। वर्ष 1997 से सक्रिय इस माओवादी पर 10 लाख रुपये का इनाम घोषित था।

इसी प्रकार मंगली कोरसा, जो कंपनी नंबर 02 की पीपीसीएम (प्लाटून पार्टी कमेटी मेम्बर) थी, वर्ष 2003 से संगठन से जुड़ी थी और उस पर 8 लाख रुपये का इनाम था।

संपत पूनेम, माड़ डिवीजन कंपनी 07 का पीपीसीएम, वर्ष 2007 से सक्रिय रहा और उस पर भी 8 लाख रुपये का इनाम था।

इसके अतिरिक्त मुका माड़वी, अर्जुन माड़वी, पायकू कोरसा, और दशरू कुंजाम जैसे कई अन्य शीर्ष माओवादी कमांडरों ने भी आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा से जुड़ने का निर्णय लिया है।

इस आत्मसमर्पण में डीआरजी, बस्तर फाइटर, एसटीएफ, कोबरा 201, 205, 210 और केरिपु बलों की संयुक्त रणनीति ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह कार्यवाही पुलिस उप महानिरीक्षक केरिपु बीजापुर श्री राकेश कुमार व बीजापुर पुलिस अधीक्षक डॉ जितेंद्र कुमार यादव के निर्देशन में की गई।

"माओवादी भ्रमित विचारधारा से बाहर आकर शासन की पुनर्वास नीति का लाभ उठाएं और समाज की मुख्यधारा में लौटें। नक्सल मुक्त बस्तर अब केवल सपना नहीं, बल्कि एक साकार होती हकीकत है।डॉ. जितेंद्र कुमार यादव (एसपी) बीजापुर 

जनकल्याणकारी योजनाओं, सुरक्षा और विकास के प्रभाव ने माओवादियों को अपने पुराने हिंसक रास्ते से हटकर शांतिपूर्ण जीवन की ओर अग्रसर किया है। आत्मसमर्पण माओवादी संगठन के लिए एक बड़ा झटका है और आने वाले समय में और भी आत्मसमर्पण की उम्मीद जताई जा रही है।


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