तेंदुपत्ता का पानी मे बह जाना वन विभाग की घोर लापरवाही का परिणाम - बसंत राव ताटी का आरोप

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बीजापुर - जिले के भोपालपटनम क्षेत्र में हाल ही में हुई बेमौसम बारिश के चलते चिंतावागु नदी किनारे सुखाए गए तेंदूपत्तों की हजारों गड्डियां पानी में बह गईं। इस घटना से शासन को लाखों रुपये का नुकसान हुआ है। पूर्व जिला पंचायत सदस्य बसंत राव ताटी ने इसे वन विभाग की घोर लापरवाही का नतीजा बताया है।


बसंत राव ताटी ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि मौसम विभाग द्वारा पहले ही बारिश की चेतावनी दी गई थी, बावजूद इसके वन विभाग ने कोई ठोस सुरक्षा व्यवस्था नहीं की। उन्होंने सवाल उठाया कि जब अलर्ट जारी था, तो तेंदूपत्तों को नदी किनारे खुले में क्यों छोड़ा गया?


ग्रामीण इलाकों में भारी नुकसान


ताटी ने बताया कि पोषडपल्ली, करकावाया, बामनपुर और गोरगुण्डा गांवों के फड़ में बड़ी मात्रा में तेंदूपत्ता संग्रह किया गया था, जिसे सूखने के लिए रखा गया था। बारिश के कारण ये सारे पत्ते पानी में बह गए, जिससे शासन को लाखों का नुकसान हुआ है। अब सवाल यह है कि इस नुकसान की भरपाई कौन करेगा?


सरकार की नीति पर भी उठाए सवाल


बसंत राव ताटी ने सरकार की नई तेंदूपत्ता नीति पर भी सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि इस वर्ष प्रदेश सरकार ने ठेकेदारी प्रथा को खत्म कर वन विभाग को तेंदूपत्ता संग्रहण की सीधी जिम्मेदारी दी है, लेकिन विभाग ने इस काम में कोई रुचि नहीं दिखाई। इससे तेंदूपत्ता संग्रहण में लगे मजदूरों को भारी आर्थिक क्षति हुई है।


“वनोपज ही आदिवासियों की आजीविका का साधन”


ताटी ने कहा कि जिले के गरीब आदिवासियों की आय का मुख्य स्रोत वनोपज ही है। ऐसे में तेंदूपत्तों का नुकसान उनकी आजीविका पर सीधा प्रहार है। उन्होंने आरोप लगाया कि वन विभाग के अधिकारी वनोपज संग्रहण जैसे जनहितकारी कार्यों में रुचि नहीं लेते, बल्कि उनका पूरा ध्यान निर्माण कार्यों पर होता है, जिससे भ्रष्टाचार के जरिए मोटी कमाई की जा सके।



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