बदलते बीजापुर की झलक से बच्चों में जगा नया आत्मविश्वास, "जैसा स्कूल यहां है, वैसा हमारे गांव में भी चाहिए"

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बीजापुर - समर कैंप 2025 के अंतर्गत आयोजित "एक्सपोजर विजिट" में नियद नेल्लानार और माओवाद प्रभावित इलाके के बच्चों ने पहली बार बीजापुर आकर विकास और उन्नति के मॉडल को देखा। यह पहला अवसर था जब पेदाजोजेर, कमकानार, जारगोया, चिन्नाजोजेर, उसूर के पुजारी कांकेर, चाटलापल्ली और संकनपल्ली जैसे दूरस्थ गांवों के बच्चों ने जिला मुख्यालय पहुंचकर विकास और उन्नति के मॉडल को नजदीक से देखा और अनुभव किया।

विकास की झलक ने भरे नए सपने


मिनगाचल नदी पार बसे इन गांवों के बच्चे जिनके लिए स्कूल जाना भी वर्षों से एक सपना मात्र था, उन्होंने अब आधुनिक भारत की संरचना और तकनीकी प्रगति को अपनी आंखों से देखा। जिला प्रशासन के अथक प्रयासों से वर्षों से बंद पड़े स्कूलों को पुनः खोला गया, जिससे बच्चों की शिक्षा की ओर वापसी संभव हो पाई है।

कलेक्टर श्री संबित मिश्रा के विशेष निर्देश पर इन बच्चों को बीजापुर लाया गया, जहां उन्होंने कलेक्ट्रेट, जिला अस्पताल, सेंट्रल लाइब्रेरी, एजुकेशन सिटी, नवोदय विद्यालय और लोहा डोंगरी का भ्रमण किया। इस दौरान उन्होंने न केवल आधुनिक सुविधाओं को देखा, बल्कि उन सुविधाओं की कार्यप्रणाली को भी समझा।

कलेक्टर से मुलाकात- "हमें भी चाहिए ऐसा स्कूल"


कलेक्ट्रेट के सभागार में आयोजित एक विशेष संवाद में बच्चों ने कलेक्टर श्री मिश्रा और सीईओ जिला पंचायत श्री हेमंत रमेश नंदनवार से मुलाकात की। जब कलेक्टर ने बच्चों से पूछा कि उनके गांवों में क्या चाहिए, तो बच्चों ने मासूमियत और उम्मीद से कहा, "जैसा स्कूल यहां है, वैसा हमारे गांव में भी चाहिए।" इस पर कलेक्टर ने बच्चों को आगे बढ़ने और सपने देखने की प्रेरणा दी।

ज्ञान और तकनीक से मिला साक्षात्कार


बच्चों को कलेक्ट्रेट में जाति प्रमाण पत्र, आधार कार्ड, भू अभिलेख और कोषालय की कार्यप्रणाली के बारे में बताया गया। इसके बाद जिला अस्पताल के भ्रमण में उन्होंने आयुष्मान कार्ड, ओपीडी, ब्लड बैंक, एक्सरे मशीन और आपातकालीन सेवाओं को देखा और चिकित्सा क्षेत्र की संभावनाओं को समझा।

सेंट्रल लाइब्रेरी और एजुकेशन सिटी, शिक्षा से सीधा जुड़ाव


सेंट्रल लाइब्रेरी में बच्चों ने टेलीस्कोप से अंतरिक्ष की झलक देखी और वीआर सेट के माध्यम से शैक्षणिक और मनोरंजक फिल्मों का आनंद लिया। लर्निंग किट्स के जरिए उन्होंने एक्टिविटी लर्निंग की विधि को जाना।

एजुकेशन सिटी में विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों का अवलोकन करते हुए जवाहर नवोदय विद्यालय की संरचना और गुणवत्ता से बच्चों को परिचित कराया गया, जिससे उनमें बेहतर शिक्षा की लालसा और आत्मविश्वास जागा।


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