बीजापुर - कर्रेगुट्टा पहाड़ियों में हुए सबसे बड़े एंटी-नक्सल ऑपरेशन ने 21 दिनों तक चले संघर्ष के बाद नक्सलवाद को करारा झटका दिया है। सुरक्षाबलों ने 31 माओवादियों को ढेर किया। यह क्षेत्र लंबे समय से माओवादी गतिविधियों का सबसे मजबूत गढ़ माना जाता था।
बीजापुर में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में सीआरपीएफ के डीजी ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह, छत्तीसगढ़ के डीजीपी अरुण देव गौतम, और एसपी जितेंद्र यादव ने इस ऑपरेशन की सफलता की जानकारी साझा की।
21 दिन, 21 मुठभेड़, 31 माओवादी ढेर
21 अप्रैल से 11 मई 2025 तक चले इस ऑपरेशन में सीआरपीएफ, कोबरा, डीआरजी, एसटीएफ और बस्तर फाइटर्स के कुल 28,000 से ज्यादा जवान शामिल हुए। इस ऑपरेशन में 21 मुठभेड़ें हुईं जिनमें 31 माओवादी मारे गए, जिनमें से 28 की पहचान हो चुकी है। इन माओवादियों पर कुल 1.72 करोड़ रुपये का इनाम घोषित था।
कर्रेगुट्टा - अब तक का सबसे कठिन मोर्चा
यह ऑपरेशन बीजापुर और तेलंगाना की सीमा पर स्थित 5,000 फीट ऊंची कर्रेगुट्टा पहाड़ियों में चलाया गया। इस इलाके को माओवादी संगठन पीपुल्स लिबरेशन गेरिल्ला आर्मी (PLGA) की बटालियन नंबर 1 का अड्डा माना जाता था। माओवादी नेता हिडमा, बारसे देवा, और दामोदर इसी क्षेत्र में सक्रिय थे। घने जंगल, 45 डिग्री सेल्सियस तापमान, और बारूदी सुरंगों से भरा इलाका, यह सब कुछ भी जवानों की हिम्मत को तोड़ नहीं सका।
ऑपरेशन को सफल बनाने के लिए सुरक्षा बलों को तकनीकी सहायता भी मिली। एनटीआरओ की सैटेलाइट इमेजरी, ड्रोन स्क्वॉड्रन, और चार हेलीकॉप्टरों की मदद से पूरे इलाके की निगरानी की गई।
हथियार, बंकर और विस्फोटक का जखीरा
इस नक्सल ऑपरेशन में 31 हथियार (INAS, SLR और ऑटोमैटिक राइफलें), 450 IED, 818 BGL सेल, 899 बंडल कार्डेक्स, 12,000 किलो राशन और अन्य दैनिक उपयोग की वस्तुएं, 214 बंकर, 4 लेथ मशीन, और 4 तकनीकी इकाइयां नष्ट, नक्सलियों का IED नेटवर्क और हथियार निर्माण प्रणाली ध्वस्त किया गया।
जवानों की वीरता और चुनौतियाँ
ऑपरेशन के दौरान 18 जवान घायल हुए, जिनमें से सभी अब खतरे से बाहर हैं। गर्मी और डिहाइड्रेशन से जूझते हुए भी जवानों का मनोबल अडिग रहा। बीजापुर एसपी जितेंद्र यादव ने बताया कि कुछ शव भौगोलिक परिस्थितियों के कारण बरामद नहीं हो सके, लेकिन शीर्ष माओवादियों के मारे जाने की संभावना जताई गई है।
“हमने नक्सलियों की चार हथियार निर्माण इकाइयों को नष्ट किया। उनका IED नेटवर्क और इलाज के लिए बनाए गए किलेबंद शिविर भी खत्म कर दिए। यह उनकी रणनीति पर सबसे बड़ा प्रहार है। 31 मार्च 2026 तक देश के सभी 6 अति-नक्सल प्रभावित जिलों में सुकमा, बीजापुर, नारायणपुर, कांकेर (छत्तीसगढ़), गढ़चिरौली (महाराष्ट्र) और चतरा (झारखंड) से नक्सलवाद को खत्म कर दिया जाएगा। जो आत्मसमर्पण करेंगे उन्हें मौका मिलेगा, अन्यथा सख्त कार्रवाई की जाएगी।” - ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह (DG) सीआरपीएफ






