नक्सली शांति वार्ता की बात कर विश्वासघात कर रहे हैं, बीजापुर आईईडी ब्लास्ट से साबित - अर्जुन हेमला

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बीजापुर - जिले में एक बार फिर नक्सलियों की दोहरी नीति सामने आई है। जहां एक ओर वे शांति वार्ता की बात कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर लगातार हिंसक घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं। सोमवार को बीजापुर में हुए आईईडी ब्लास्ट में CAF के जवान मनोज पुजारी शहीद हो गए। इस घटना की तीव्र निंदा करते हुए अर्जुन हेमला ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर नक्सलियों को अविश्वसनीय करार दिया।


उन्होंने कहा कि यदि नक्सली वास्तव में शांति वार्ता चाहते हैं, तो पहले वे गांवों, खेतों और कल्याण क्षेत्रों में लगाए गए आईईडी को हटाएं। ये आईईडी न केवल सुरक्षा बलों के लिए खतरा हैं, बल्कि निर्दोष ग्रामीण, बच्चे, मवेशी और वृद्धजन भी इसकी चपेट में आ रहे हैं।


आईईडी ब्लास्ट के पीछे षड्यंत्र की आशंका

हेमला ने कहा कि कुछ दिन पूर्व ही नक्सली नेता द्वारा सरकार को युद्धविराम की अपील की गई थी, फिर अचानक आईईडी ब्लास्ट क्यों? यह किसी बड़े षड्यंत्र की ओर इशारा करता है। नक्सली वार्ता के नाम पर सरकार को गुमराह कर रहे हैं। उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि ऐसे विश्वासघातियों से शक्ति से निपटना ही उचित होगा।

अर्जुन हेमला ने क्षेत्रीय नक्सलियों से अपील करते हुए कहा कि वे बाहरी नक्सलियों के बहकावे में न आएं और आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा में जुड़ें। उन्होंने बताया कि सरकार ने आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों के लिए प्रोत्साहन राशि 25,000 से बढ़ाकर 50,000 कर दी है। वहीं, हथियार के साथ आत्मसमर्पण करने पर लाखों रुपये की सहायता दी जा रही है। मकान, रोजगार और पुनर्वास की योजनाएं उनके लिए उपलब्ध हैं।

बस्तर के उज्ज्वल भविष्य की कल्पना


हेमला ने कहा कि जैसे-जैसे सुरक्षा बलों की कार्रवाई तेज हो रही है, नक्सलियों के प्रभाव वाले कई गांव अब विकास की रोशनी में कदम रख रहे हैं। यहां के लोग अपने बच्चों के सुनहरे भविष्य की कल्पना कर पा रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि जल्द ही गांवों में पर्चे लगाकर क्षेत्रीय नक्सलियों से आत्मसमर्पण की अपील की जाएगी।


अर्जुन हेमला ने विश्वास जताया कि नक्सल समस्या के समाप्त होते ही बस्तर की सुंदरता देश-दुनिया के सामने उभरेगी। यह क्षेत्र पर्यटन, नए उद्योगों और रोजगार का बड़ा केंद्र बन सकता है।


नक्सलियों की कथनी और करनी में भारी अंतर है। एक ओर शांति वार्ता की अपील, तो दूसरी ओर जानलेवा हमले ऐसे में सरकार को इनसे सख्ती से निपटना होगा। साथ ही, भटके युवाओं को आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा में लौटने का आह्वान समय की जरूरत है।



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