बीजापुर - पत्रकार मुकेश चंद्रकार हत्याकांड मामले में पुलिस की विशेष जांच टीम (SIT) ने मंगलवार दोपहर जिला न्यायालय में केस डायरी सहित 1241 चार्जशीट दाखिल की। चार्जशीट में 72 गवाहों के बयान दर्ज किए गए हैं, और सभी आरोपी इस समय जगदलपुर जेल में बंद हैं। चारों आरोपियों की सुनवाई जिला एवं सत्र न्यायालय, दंतेवाड़ा में किए जाने की संभावना जताई जा रही है। चार्जशीट पेश किए जाने के दौरान, आरोपी पक्ष की ओर से हाईकोर्ट के एक वकील भी मौजूद रहे।
न्यायालय द्वारा इस मामले में आगे क्या कदम उठाए जाएंगे, इस पर सभी की नजर बनी हुई है। उल्लेखनीय है कि 1 जनवरी 2025 की रात को मुकेश चंद्रकार की सुनियोजित तरीके से हत्या कर दी गई थी, और शव को सेप्टिक टैंक में छिपाकर फ्लोरिंग कर दी गई थी।
गुमशुदगी से हत्या का खुलासा
2 जनवरी को मुकेश के भाई युकेश चंद्रकार ने बीजापुर कोतवाली में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। 3 जनवरी की देर शाम, मोबाइल लोकेशन ट्रैकिंग के आधार पर पुलिस ने मुख्य आरोपी सुरेश चंद्रकार के चट्टानपारा स्थित घर के बाड़े से मुकेश का शव सेप्टिक टैंक से बरामद किया। राज्य सरकार ने इस हत्याकांड की गंभीरता को देखते हुए SIT जांच के आदेश दिए थे। जांच में पुलिस को पुख्ता सबूत मिले और सुरेश चंद्रकार सहित चार लोगों को हत्या का दोषी पाया गया।
जांच में सामने आया कि नेलसनार-मिरतूर-गंगालूर सड़क निर्माण कार्य में ठेकेदार सुरेश चन्द्रकार और उनके साथियों द्वारा की गई अनियमितताओं को पत्रकार मुकेश चन्द्रकार ने उजागर किया था। इस कारण, आरोपी ने अपने दो भाइयों और एक सुपरवाइजर के साथ मिलकर हत्या की पूरी साजिश रची।
हत्या के बाद पुलिस को गुमराह करने के लिए आरोपियों ने शव को सेप्टिक टैंक में डालकर फ्लोरिंग करवा दी, ताकि अपराध को छिपाया जा सके। घटना के महज 72 घंटे के भीतर पुलिस ने चारों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। SIT द्वारा की गई विवेचना में फॉरेंसिक टीम के साइंटिफिक और तकनीकी साक्ष्यों को आधार बनाया गया।
प्रकरण में 72 गवाहों को सूचीबद्ध किया गया, और फिजिकल एवं डिजिटल साक्ष्य जुटाकर जांच को मजबूत किया गया। इसके अलावा, घटनास्थल पर क्राइम सीन का रिक्रिएशन कर पुलिस ने आरोपियों से पूछताछ के आधार पर पूरा घटनाक्रम स्पष्ट किया।
मजबूत फॉरेंसिक और डिजिटल साक्ष्य जुटाए गए
♦️ SIT द्वारा की गई गहन विवेचना में फॉरेंसिक टीम की वैज्ञानिक जांच और तकनीकी साक्ष्यों को प्राथमिक आधार बनाया गया।
♦️ 72 गवाहों के बयान दर्ज किए गए।
♦️ फिजिकल और डिजिटल साक्ष्य जुटाकर केस को मजबूत किया गया।
♦️ DNA रिपोर्ट, मोबाइल लोकेशन और कॉल रिकॉर्ड के आधार पर आरोपियों को दोषी ठहराने के प्रमाण मिले।
♦️ क्राइम सीन का रिक्रिएशन कर पुलिस ने पूरे घटनाक्रम की पुष्टि की।
बीजापुर पुलिस और SIT टीम ने इस प्रकरण में गहन विवेचना कर अपराधियों को बेनकाब किया। फॉरेंसिक जांच, DNA रिपोर्ट और डिजिटल सबूतों ने मामले को और मजबूत किया है। अब न्यायालय में इस हत्याकांड पर सुनवाई होगी, और पुलिस की पूरी कोशिश रहेगी कि आरोपियों को कठोरतम सजा दिलाई जाए।



