नक्सलवाद को एक और बड़ा झटका, पुलिस कैंपों के विस्तार और पुनर्वास नीति से प्रभावित होकर तीन नक्सलियों का आत्मसमर्पण

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सुकमा - जिले में नक्सल संगठन से जुड़े तीन नक्सलियों ने समाज की मुख्यधारा में लौटने का फैसला लिया है। इनमें दो इनामी नक्सली भी शामिल हैं, जिन पर कुल चार लाख रुपये का इनाम घोषित था। उन्होंने पुलिस के सामने बिना हथियार आत्मसमर्पण किया।


आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों ने बताया कि उन्होंने राज्य सरकार की “छत्तीसगढ़ नक्सलवाद उन्मूलन एवं पुनर्वास नीति” और सुकमा पुलिस द्वारा चलाए जा रहे “नियद नेल्ला नार” योजना से प्रभावित होकर आत्मसमर्पण का निर्णय लिया।


आत्मसमर्पित नक्सलियों में मड़कम एर्रा बाबू पिता सुब्बैया कंचाल आरपीसी सीएनएम अध्यक्ष, उम्र 26 वर्ष, जाति मुरिया, निवासी मुंतामडगू थाना पामेड़, जिला बीजापुर। (इनामी 2 लाख रुपये), मड़कम हड़मा पिता जोगा कंचाल आरपीसी डीएकेएमएस अध्यक्ष, उम्र 41 वर्ष, जाति मुरिया, निवासी कंचाल एर्रागोड़पारा थाना पामेड़, जिला बीजापुर। (इनामी 2 लाख रुपये), सोडी देवा पिता दामा मेटागुड़ा आरपीसी सीएनएम उपाध्यक्ष, उम्र 35 वर्ष, जाति मुरिया, निवासी कहेर दुलोड़ थाना चिंतागुफा, जिला सुकमा शामिल हैं।


आत्मसमर्पित नक्सलियों ने बताया कि वे नक्सली संगठन की अमानवीय, आधारहीन विचारधारा और अत्याचारों से परेशान थे। उन्होंने कहा कि बाहरी नक्सलियों के भेदभावपूर्ण रवैये और स्थानीय आदिवासियों पर होने वाले शोषण से तंग आकर उन्होंने नक्सली संगठन छोड़ने का निर्णय लिया।


आत्मसमर्पण कराने में डीआईजी ऑफिस सुकमा की रेंज फील्ड टीम और 151 बटालियन सीआरपीएफ की आसूचना शाखा की विशेष भूमिका रही। पुलिस के बढ़ते प्रभाव और अंदरूनी क्षेत्रों में सुरक्षा कैंपों की स्थापना ने नक्सलियों को आत्मसमर्पण के लिए प्रेरित किया।



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