फागुन मेले से लौटे 994 देवी-देवता, भेंट और उपहारों संग हुआ ससम्मान विदाई समारोह

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दंतेवाड़ा - धर्म और आस्था के महापर्व फागुन मेले का शनिवार को भव्य समापन हुआ, जहां आमंत्रित देवी-देवताओं को पूरे सम्मान और विधि-विधान के साथ विदा किया गया। अगले वर्ष पुनः इस पावन आयोजन में शामिल होने की कामना के साथ, 994 देवी-देवता अपने-अपने धाम को लौट गए।


इस बार का फागुन मेला ऐतिहासिक रहा, क्योंकि अब तक के सबसे अधिक 994 देवी-देवता समूह इस मेले में शामिल हुए। बस्तर की सांस्कृतिक और पारंपरिक विरासत को संजोए इस मेले में, देवी-देवताओं का आगमन और विदाई दोनों ही अत्यंत भव्य रहे। विदाई से पहले सभी समूहों को वस्त्र, गुल्लक और 51 रुपये की सम्मान राशि भेंट की गई।


ओडिशा समेत कई जिलों से पहुंचे थे देवी-देवता



फागुन मेले में दंतेवाड़ा के अलावा बीजापुर, सुकमा, बस्तर, कोंडागांव, नारायणपुर और ओडिशा के ग्रामीण क्षेत्रों से भी देवी-देवताओं को लाया गया था। प्रत्येक दल में 6-7 सदस्य शामिल होते हैं, जो अपने देवी-देवता के प्रतीक छत्र-बैरक, लंबे बांस पर लगी ध्वजा और आंगा देव के साथ मेले में पहुंचे।


उपस्थित गणमान्य और धार्मिक प्रमुखों ने किया सम्मानित


इस पावन अवसर पर विधायक चैतराम अटामी, जिला पंचायत सदस्य तूलिका कर्मा और कमला नाग, जनपद सदस्य रामू नेताम, प्रधान पुजारी हरेंद्र नाथ जिया, सहायक पुजारी लोकेंद्र नाथ, परमेश्वर नाथ और सलिंद्र नाथ समेत मांझी-मुखिया और समाज प्रमुख उपस्थित रहे। सभी ने देवी-देवताओं के दलों को भेंट सामग्री प्रदान की।



इसके बाद माँ दंतेश्वरी मंदिर के सामने सभी देवी-देवताओं को लाया गया, जहाँ मंदिर के प्रधान पुजारी ने धूप-आरती कर ससम्मान विदाई दी। इस दौरान तहसीलदार विनीत सिंह समेत मांझी-मुखिया और मंदिर के सेवादार भी उपस्थित रहे।


इस वर्ष पहली बार देवी-देवताओं के विग्रह लेकर आने वाले समूहों को टेंपल कमेटी द्वारा पहचान पत्र (आईडी कार्ड) जारी किया गया। इसका उद्देश्य आगामी वर्षों में आमंत्रण और भत्ता वितरण प्रक्रिया को सरल बनाना है।



आमंत्रित देवी-देवताओं की विदाई के साथ ही दस दिवसीय फागुन मेला विधिवत संपन्न हो गया। यह आयोजन बस्तर की समृद्ध परंपरा और आध्यात्मिक संस्कृति को संजोए रखने का प्रतीक है, जिसे देखने के लिए हर वर्ष हजारों श्रद्धालु उमड़ते हैं।



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