माओवादियों ने छोड़ा हिंसा का रास्ता, बढ़ते दबाव, नए कैंप और सुरक्षा बलों की रणनीति का असर
बीजापुर - छत्तीसगढ़ और तेलंगाना की सरकारों की पुनर्वास योजनाओं और सुरक्षा बलों के बढ़ते दबाव के चलते माओवादियों के आत्मसमर्पण का सिलसिला जारी है। हाल ही में तेलंगाना के भद्राद्री कोत्तागुडेम जिले में पुलिस महानिरीक्षक (IGP) चंद्रशेखर रेड्डी और अन्य पुलिस अधिकारियों के समक्ष छत्तीसगढ़ के 64 माओवादियों ने हथियार डालकर मुख्यधारा में लौटने का निर्णय लिया।
आत्मसमर्पण करने वालों में बीजापुर जिले के 57 और सुकमा जिले के 7 माओवादी शामिल हैं। इनमें 16 महिलाएं भी हैं, जिन्होंने नक्सलवाद का रास्ता छोड़कर शांतिपूर्ण जीवन जीने का निर्णय लिया।
यह सभी दक्षिण बस्तर और पश्चिम बस्तर में सक्रिय माओवादी संगठनों में कार्यरत थे। पुलिस और सुरक्षा बलों द्वारा बढ़ते दबाव, नए सुरक्षा कैंपों की स्थापना और पुनर्वास योजनाओं के प्रभाव से माओवादियों का आत्मसमर्पण लगातार जारी है।
संगठनों के अलग-अलग पदों पर थे माओवादी सदस्य
आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों का संगठन में विभिन्न पदों पर कार्य करने का लंबा इतिहास रहा है। जिनमें एरिया कमेटी मेंबर (ACM) - 01, पार्टी सदस्य - 10, आरपीसी समिति सदस्य - 09, आरपीसी मिलिशिया सदस्य - 19, आरपीसी डीकेएमएस/केएमएस सदस्य - 11, आरपीसी सीएनएम सदस्य - 06, आरपीसी जीआरडी सदस्य - 08 शामिल हैं।
सरकार की पुनर्वास योजनाओं का असर, आत्मसमर्पण का मुख्य कारण
माओवादियों के आत्मसमर्पण का सबसे बड़ा कारण राज्य सरकारों द्वारा लागू की गई पुनर्वास योजनाएं और कल्याणकारी कार्यक्रम हैं।
छत्तीसगढ़ सरकार की "नियद नेल्लानार योजना"
तेलंगाना सरकार की "ऑपरेशन चेयुथा"
इन योजनाओं के अंतर्गत आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों को पुनर्वास में मदद दी जाती है। तेलंगाना सरकार ने प्रत्येक आत्मसमर्पण करने वाले माओवादी को ₹25,000 की प्रोत्साहन राशि प्रदान की। इसके अलावा, पुलिस और सुरक्षा बलों की लगातार कार्रवाई, नए सुरक्षा कैंपों की स्थापना, और माओवादियों को पुनर्वास योजनाओं की जानकारी देने के कारण आत्मसमर्पण की संख्या में वृद्धि हो रही है।
बीते ढाई महीनों में छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में 122 माओवादियों ने आत्मसमर्पण किया है। यह दर्शाता है कि सरकार और सुरक्षा बलों की रणनीति माओवाद को कमजोर करने में सफल हो रही है।
आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों ने स्वीकार किया कि सीपीआई (माओवादी) संगठन अब पुरानी विचारधारा पर चल रहा है और आदिवासी समुदायों का समर्थन खो चुका है।
नक्सली क्षेत्र में माओवादियों के प्रति असंतोष बढ़ रहा है, जिससे उनके कैडर का मनोबल कमजोर हुआ। पुलिस और सुरक्षा बलों के लगातार दबाव के कारण उनके पास आत्मसमर्पण के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं बचा हुआ है। पुनर्वास योजनाओं और सरकार की मदद से माओवादी अब सामान्य जीवन की ओर लौटने की इच्छा जता रहे हैं।
पुलिस अधिकारियों ने माओवादियों को मुख्यधारा में लौटने के लिए प्रोत्साहित किया है। उन्होंने कहा कि आत्मसमर्पण करने के इच्छुक माओवादी अपने परिवार के माध्यम से या सीधे निकटतम पुलिस स्टेशन या जिले के उच्च अधिकारियों से संपर्क कर सकते हैं।
तेलंगाना और छत्तीसगढ़ में माओवादियों का आत्मसमर्पण लगातार बढ़ रहा है। आने वाले समय में और अधिक माओवादी हिंसा का रास्ता छोड़कर शांति और विकास की ओर बढ़ सकते हैं।
सरकार और सुरक्षा बलों की कोशिशों से इन क्षेत्रों में स्थायी शांति स्थापित होने की उम्मीद है।





