बीजापुर में "लाल परचम" ने टेका घुटना, 50 माओवादियों का ऐतिहासिक आत्मसमर्पण

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13 इनामी माओवादियों समेत 50 ने हथियार डाले, सरकार की नीति और सुरक्षा बलों की रणनीति का असर



बीजापुर - जिले में 30 मार्च को माओवादियों के इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ गया। एक साथ 50 माओवादियों ने आत्मसमर्पण कर हिंसा का रास्ता छोड़कर समाज की मुख्यधारा में लौटने का फैसला किया। आत्मसमर्पण करने वालों में PLGA बटालियन नंबर 01, कंपनी नंबर 02 और 07, कुतुल और नेशनल पार्क एरिया कमेटी के एसीएम स्तर के 03 सदस्य, जनताना सरकार अध्यक्ष, केएएमएस अध्यक्ष, सीएनएम सदस्य, मिलिशिया कमांडर, मिलिशिया प्लाटून सदस्य और कई अन्य नक्सली कैडर शामिल हैं।


इन आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों में से 13 पर कुल 68 लाख रुपये का इनाम घोषित था, जो सुरक्षा बलों के लिए बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है।


माओवादियों का मोहभंग- "अब बंदूक नहीं, परिवार संग शांति से जीना चाहते हैं।"



आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों ने संगठन के अंदर चल रही अराजकता, बढ़ते आंतरिक मतभेद, विचारधारा से मोहभंग, और सुरक्षित पारिवारिक जीवन जीने की इच्छा को आत्मसमर्पण का मुख्य कारण बताया है। इसके अलावा, छत्तीसगढ़ सरकार की पुनर्वास नीति, सुरक्षा बलों की सख्त कार्रवाई, और क्षेत्र में चल रहे विकास कार्यों ने भी माओवादियों को आत्मसमर्पण के लिए प्रेरित किया।


अंदरूनी इलाकों में सुरक्षा कैम्पों की स्थापना, सड़क निर्माण, पानी-बिजली की उपलब्धता, बेहतर परिवहन और शासन की अन्य जनकल्याणकारी योजनाओं के कारण नक्सल प्रभावित इलाकों में बदलाव देखा जा रहा है। ग्रामीणों और सुरक्षा बलों के बीच सकारात्मक संवाद ने माओवादियों को आत्मसमर्पण के लिए प्रेरित किया है।


बीते साल नक्सली उन्मूलन अभियान में मिली सफलता



छत्तीसगढ़ पुलिस और सुरक्षा बलों के नक्सल विरोधी अभियानों के चलते बड़ी संख्या में नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया या मुठभेड़ों में मारे गए।


2024 में नक्सल उन्मूलन अभियान की उपलब्धियाँ (01 जनवरी 2024 से 31 दिसंबर 2024 तक)


गिरफ्तार माओवादी 656,

आत्मसमर्पण करने वाले माओवादी 346,

मुठभेड़ में मारे गए माओवादी 141


सरकार की आत्मसमर्पण और पुनर्वास नीति, सुरक्षा बलों की सख्त कार्रवाई और विकास योजनाओं के सफल क्रियान्वयन के चलते बड़ी संख्या में नक्सलियों ने हथियार डालकर मुख्यधारा से जुड़ने का फैसला किया।


2025 में अब तक की प्रगति (01 जनवरी 2025 से 30 मार्च 2025 तक)


गिरफ्तार माओवादी 153,

आत्मसमर्पण करने वाले माओवादी 157,

मुठभेड़ में मारे गए माओवादी 83


सिर्फ तीन महीनों में ही 157 नक्सलियों ने हथियार डाल दिए, जिससे यह स्पष्ट होता है कि नक्सली संगठन के भीतर भारी दरार पड़ चुकी है। 153 नक्सलियों की गिरफ्तारी और 83 की मुठभेड़ों में मौत बताती है कि राज्य की सुरक्षा नीति और पुनर्वास योजना कारगर साबित हो रही है।


"सामान्य जीवन की चाह" - पुनर्वास नीति बनी आत्मसमर्पण का बड़ा कारण


छत्तीसगढ़ सरकार की पुनर्वास और आत्मसमर्पण नीति का सीधा असर इस आत्मसमर्पण में देखा गया। प्रत्येक आत्मसमर्पण करने वाले माओवादी को 25-25 हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि दी गई। आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को पुनर्वास नीति के तहत रोजगार, शिक्षा और अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ मिलेगा। सरकार और सुरक्षा बलों ने अन्य माओवादियों से भी हिंसा छोड़कर मुख्यधारा में लौटने की अपील की है।


नक्सलवाद के गढ़ में ‘लाल सलाम’ का खात्मा?



बीजापुर में माओवादियों का यह ऐतिहासिक आत्मसमर्पण नक्सलवाद के अंत की ओर एक बड़ा संकेत माना जा रहा है। सुरक्षा बलों का बढ़ता दबाव, ग्रामीणों के समर्थन, तेजी से हो रहे विकास कार्यों और पुनर्वास नीति के कारण आने वाले समय में और भी नक्सलियों के आत्मसमर्पण की संभावना जताई जा रही है।



क्या बीजापुर बनेगा "नक्सल मुक्त क्षेत्र"?


इस आत्मसमर्पण से यह साफ संकेत मिलता है कि बीजापुर नक्सल मुक्त होने की दिशा में तेजी से बढ़ रहा है। सरकारी योजनाओं का लाभ ग्रामीणों तक पहुंच रहा है।


सुरक्षा बलों की कार्रवाई के कारण माओवादी कमजोर हो रहे हैं। माओवादी संगठन के अंदरूनी मतभेद बढ़ रहे हैं। आने वाले दिनों में और भी नक्सलियों के हथियार डालने की संभावना जताई जा रही है, जिससे "नक्सल मुक्त बस्तर" का सपना जल्द ही हकीकत में बदल सकता है।




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