छत्तीसगढ़ शालेय शिक्षक संघ और अन्य कर्मचारी संगठनों ने सरकार के इस निर्णय को कर्मचारियों की अनदेखी बताया है। संगठनों का कहना है कि शासन की रीढ़ माने जाने वाले कर्मचारियों को इस बजट में कोई विशेष लाभ नहीं दिया गया है, जिससे वे उपेक्षित महसूस कर रहे हैं।
"बजट से शिक्षकों-कर्मचारियों को बड़ी उम्मीदें थी" - कैलाश रामटेके
शालेय शिक्षक संघ के जिला सचिव कैलाश रामटेके ने बताया कि प्रदेश के शिक्षकों और कर्मचारियों को इस बजट से बहुत उम्मीदें थीं, लेकिन सरकार ने उनकी मांगों की अनदेखी की है। उन्होंने कहा कि संविलियन प्राप्त शिक्षकों की पुरानी सेवा गणना, क्रमोन्नति, महंगाई भत्ता और उसका एरियर्स, वेतन विसंगति, कैशलेस चिकित्सा और पूर्ण पेंशन जैसी महत्वपूर्ण मांगें इस बजट में पूरी नहीं की गईं।
उन्होंने आगे कहा कि प्रदेश में सरकार द्वारा कई अन्य वर्गों के लिए योजनाओं की घोषणा की गई, लेकिन शिक्षकों और कर्मचारियों को इससे वंचित रखा गया। उन्होंने इसे निराशाजनक और कर्मचारियों के साथ अन्याय करार दिया।
"कर्मचारियों की उपेक्षा करना गलत" – वीरेंद्र दुबे
शालेय शिक्षक संघ के प्रांताध्यक्ष वीरेंद्र दुबे ने सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि बजट समावेशी होना चाहिए था। उन्होंने कहा, "कर्मचारी शासन की रीढ़ होते हैं, लेकिन इस बजट में उनकी अनदेखी की गई है। शिक्षकों और कर्मचारियों ने विष्णुदेव सरकार से बहुत उम्मीदें लगाई थीं, लेकिन बजट में उनके लिए कोई विशेष योजना या घोषणा नहीं की गई, जिससे वे उपेक्षित महसूस कर रहे हैं।"
उन्होंने कहा कि महंगाई भत्ते की केवल 3% वृद्धि से कर्मचारियों को कोई विशेष राहत नहीं मिलेगी। सरकार को उनकी लंबित मांगों पर भी ध्यान देना चाहिए था।
संविलियन प्राप्त शिक्षक अब भी कर रहे लंबित मांगों की प्रतीक्षा
शालेय शिक्षक संघ के महासचिव धर्मेश शर्मा, कार्यकारी अध्यक्ष चंद्रशेखर तिवारी, प्रदेश मीडिया प्रभारी जितेंद्र शर्मा और जिलाध्यक्ष प्रहलाद जैन ने भी इस बजट को लेकर गहरी नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि संविलियन प्राप्त शिक्षक वर्षों से अपनी पुरानी सेवा गणना, क्रमोन्नति, पूर्ण पेंशन, कैशलेस चिकित्सा और वेतन विसंगति दूर करने की मांग कर रहे थे, लेकिन इस बजट में इन मुद्दों पर कोई ध्यान नहीं दिया गया।
उन्होंने यह भी कहा कि प्रदेश के अन्य कर्मचारी लंबित महंगाई भत्ता (DA) और उसके एरियर्स को केंद्र के बराबर किए जाने की प्रतीक्षा कर रहे थे, लेकिन उन्हें भी निराशा ही हाथ लगी।
शालेय शिक्षक संघ ने की सरकार से पुनर्विचार की मांग
शालेय शिक्षक संघ ने साय सरकार से बजट में कर्मचारियों के हितों को शामिल करने की पुनः मांग की है। संघ का कहना है कि सरकार को सभी कर्मचारियों की समस्याओं को प्राथमिकता देनी चाहिए थी, लेकिन बजट में उन्हें नजरअंदाज किया गया है।
संघ ने स्पष्ट किया कि यदि जल्द ही पुरानी सेवा गणना, महंगाई भत्ता, वेतन विसंगति, कैशलेस चिकित्सा और पूर्ण पेंशन जैसी मांगों पर कोई ठोस निर्णय नहीं लिया जाता है, तो कर्मचारी आंदोलन का रास्ता अपना सकते हैं।
छत्तीसगढ़ सरकार के इस बजट से शिक्षकों और कर्मचारियों में निराशा बढ़ गई है। बजट में केवल 3% महंगाई भत्ता बढ़ाने की घोषणा की गई, लेकिन अन्य लंबित मांगों पर कोई विचार नहीं किया गया। कर्मचारी संगठनों ने सरकार से इस निर्णय पर पुनर्विचार करने की मांग की है। अब देखना होगा कि सरकार कर्मचारियों की इस नाराजगी को कैसे दूर करती है।




