बीजापुर - जिलें के माओवाद प्रभावित अंदरूनी इलाकों में 76वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय पर्व का आयोजन शांति, उत्साह और देशभक्ति के माहौल में किया गया। जहां एक समय लाल आतंक के कारण लोकतंत्र के पर्व का विरोध होता था, वहीं अब इन इलाकों में तिरंगा शान से लहराया गया। सुरक्षा बलों, जनप्रतिनिधियों, स्कूली बच्चों और ग्रामीणों ने मिलकर यह पर्व मनाया, जिससे पूरे क्षेत्र में देशभक्ति और एकता का संदेश गूंज उठा।
माओवादियों के गढ़ में पहली बार फहराया गया तिरंगा
दक्षिण बस्तर और पश्चिम बस्तर के माओवादी कोर इलाकों में हाल ही में स्थापित 6 नए सुरक्षा कैम्पों में गणतंत्र दिवस का आयोजन किया गया। कोण्डापल्ली, जिड़पल्ली-1, जिड़पल्ली-2, वाटेवागु, कावरगुट्टा और पीड़िया जैसे इलाकों में ग्रामीणों और स्कूली बच्चों ने सुरक्षा बलों के साथ मिलकर राष्ट्रीय ध्वज फहराया और "भारत माता की जय" और "वंदे मातरम" के नारे लगाए।
ग्रामीणों और बच्चों का उत्साह रहा देखने लायक
पहली बार इन इलाकों में ग्रामीणों और बच्चों ने राष्ट्रीय पर्व का हिस्सा बनने का अवसर पाया। प्रभात फेरी निकालकर सभी ने "जय हिंद" के नारे लगाए। बच्चों ने राष्ट्रगान गाया और सुरक्षा बलों के जवानों के साथ मिलकर देशभक्ति गीत प्रस्तुत किए।
शहीदों को दी गई श्रद्धांजलि, परिजनों का हुआ सम्मान
इस अवसर पर माओवादी हिंसा में शहीद वीर जवानों की प्रतिमाओं पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई। शहीदों के परिजनों को साल और श्रीफल भेंटकर सम्मानित किया गया। यह पहल इन इलाकों में सुरक्षा और विश्वास का माहौल बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
मिष्ठान वितरण और सहभोज का आयोजन
कार्यक्रम के दौरान सभी सुरक्षा कैम्पों में ग्रामीणों और सुरक्षा बलों ने एक साथ सहभोज किया। बच्चों और ग्रामीणों के बीच बूंदी और अन्य मिष्ठानों का वितरण किया गया। विशेष रूप से कोण्डापल्ली और जिड़पल्ली जैसे इलाकों में बड़ी संख्या में ग्रामीणों ने इस आयोजन में भाग लिया।
कार्यक्रम के दौरान जनप्रतिनिधियों और सुरक्षा बलों ने ग्रामीणों को देश की एकता और अखंडता बनाए रखने का संदेश दिया। लोगों से अपील की गई कि वे शांति और विकास के पथ पर आगे बढ़ने में सहयोग करें।
माओवाद प्रभावित इलाकों में शांति और विश्वास का प्रतीक बना राष्ट्रीय पर्व
यह आयोजन बीजापुर के उन इलाकों में नई उम्मीद और बदलाव का प्रतीक है, जहां कभी हिंसा और आतंक का साया था। सुरक्षा बलों और ग्रामीणों के सामूहिक प्रयास ने यह साबित कर दिया कि लोकतंत्र की ताकत हर चुनौती का सामना कर सकती है।
यह आयोजन बीजापुर के अंदरूनी इलाकों में लोकतंत्र की शक्ति और एकता का प्रतीक बन गया है, जहां अब शांति और विकास की दिशा में नया अध्याय लिखा जा रहा है।




