बीजापुर - नगरपालिका चुनाव में भाजपा ने अध्यक्ष पद के लिए गीता सोम पुजारी को उम्मीदवार घोषित किया है। इस फैसले के बाद पार्टी के भीतर असंतोष की लहर दौड़ गई है। खासतौर पर भाजपा महिला मोर्चा ने इस निर्णय के खिलाफ खुलकर मोर्चा खोल दिया है। महिला मोर्चा ने उम्मीदवार के नाम पर पुनर्विचार की मांग करते हुए चेतावनी दी है कि यदि उनकी बात नहीं मानी गई, तो वे सामूहिक इस्तीफा दे देंगी।
आरक्षित सीट पर विवाद, समर्पित कार्यकर्ताओं की अनदेखी का आरोप
बीजापुर नगरपालिका अध्यक्ष पद के लिए देविंदा राना, पूजा पोंदी, उर्मिला तोकल, भाग्यवती पुजारी और गीता सोम पुजारी ने दावा पेश किया था। इनमें से चार कार्यकर्ता पार्टी से लंबे समय से जुड़े और सक्रिय रहे हैं। लेकिन भाजपा ने इनकी अनदेखी करते हुए गीता सोम पुजारी को उम्मीदवार बनाया, जिनका संगठन से कोई सक्रिय जुड़ाव नहीं रहा है।
"हमने झंडा उठाया, दरी बिछाई, फिर भी हमारी उपेक्षा"
महिला मोर्चा की प्रमुख कार्यकर्ता पूजा पोंदी ने भावुक होकर संगठन पर भेदभाव का आरोप लगाया।
"हमने पार्टी को मजबूत करने के लिए नक्सल प्रभावित इलाकों में भी जान जोखिम में डालकर काम किया। दरी बिछाने से लेकर झंडा उठाने तक हर जिम्मेदारी निभाई। इसके बावजूद, हमारी उपेक्षा कर उस महिला को टिकट दिया गया, जो कभी पार्टी कार्यालय तक नहीं आई। यह फैसला हमें अपमानित महसूस कराता है।" - पूजा पोंदी (महिला मोर्चा की प्रमुख कार्यकर्ता)
पूजा ने चेतावनी दी कि अगर पार्टी ने टिकट पर पुनर्विचार नहीं किया, तो वे सामूहिक इस्तीफा देने को मजबूर होंगी।
"सलवा जुडूम अभियान से जुड़े कार्यकर्ताओं का अपमान"
"मैंने सलवा जुडूम के दौरान भाजपा के लिए अपने प्राणों की परवाह किए बिना काम किया। हर कठिन परिस्थिति में पार्टी का साथ दिया। लेकिन आज, उन कार्यकर्ताओं को दरकिनार किया जा रहा है, जिन्होंने पार्टी के लिए खून-पसीना बहाया है। यह फैसला न केवल हमें, बल्कि पूरे संगठन को कमजोर करेगा।" - उर्मिला तोकल (महिला मोर्चा की वरिष्ठ नेत्री)
उन्होंने स्पष्ट किया कि अगर पार्टी ने गीता सोम पुजारी की उम्मीदवारी पर पुनर्विचार नहीं किया, तो महिला मोर्चा सामूहिक इस्तीफा देने के लिए तैयार है।
जिला अध्यक्ष के लिए बड़ा संकट
नवनियुक्त भाजपा जिला अध्यक्ष घासीराम नाग के लिए यह मामला चुनौती बन गया है। एक ओर महिला मोर्चा का तीखा विरोध है, तो दूसरी ओर पार्टी नेतृत्व का दबाव। घासीराम नाग दोनों पक्षों के बीच संतुलन बनाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन महिला मोर्चा की एकजुटता ने उनकी मुश्किलें बढ़ा दी हैं।
भाजपा के चुनावी गणित पर असर
महिला मोर्चा का यह विरोध आगामी नगरपालिका चुनावों में भाजपा के लिए बड़ा संकट खड़ा कर सकता है। पार्टी के भीतर बढ़ती बगावत और असंतोष न केवल संगठन को कमजोर करेगा, बल्कि चुनावी संभावनाओं को भी प्रभावित करेगा।
क्या करेगा पार्टी नेतृत्व?
अब सबकी नजरें भाजपा नेतृत्व पर हैं। महिला मोर्चा की नाराजगी को शांत करना और पार्टी में एकता बनाए रखना नेतृत्व के लिए बड़ी चुनौती है। यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा इस संकट का समाधान कैसे करती है।
क्या महिला कार्यकर्ताओं की आवाज सुनी जाएगी, या पार्टी को चुनावों में इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा?



