13 लाख के इनामी माओवादियों ने किया आत्मसमर्पण - शासन की आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति से प्रभावित होकर पुलिस के समक्ष आए 13 माओवादी

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छत्तीसगढ़ - बीजापुर जिले में माओवादी उन्मूलन अभियान को बड़ी सफलता मिली है। शासन की आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति और "नियद नेल्ला नार" योजना से प्रभावित होकर 13 माओवादियों ने आज पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया। इनमें 5 से 1 लाख रुपये के इनामी माओवादी शामिल हैं। आत्मसमर्पण करने वालों में कटाकम सुदर्शन और सीसीएम उदय जैसे माओवादी नेताओं के करीबी सदस्य भी शामिल हैं।


प्रमुख माओवादी जिन्होंने किया आत्मसमर्पण


1. मुन्ना ककेम (एसीएम/एओबी अंतर्गत कटाम एरिया कमेटी सदस्य) संगठन में 2012 से सक्रिय, 5 लाख रुपये का इनामी, कई पुलिस मुठभेड़ों में शामिल, जिसमें उड़ीसा और छत्तीसगढ़ बॉर्डर पर 2021 और 2024 की घटनाएं प्रमुख हैं।

2. सुखराम हेमला (पीपीसीएम, प्लाटून नंबर 10, सेक्शन 'ए' कमांडर)2003 से सक्रिय, 5 लाख रुपये का इनामी, मिनपा और टेकलगुड़ा मुठभेड़ों में भूमिका, जिनमें 39 जवान शहीद हुए थे।

3. देवे मड़कम उर्फ चांदनी (गोंदिया डिवीजन के मलाजखंड एरिया कमेटी सदस्य)संगठन में 2000 से सक्रिय, 1 लाख रुपये की इनामी, सड़क निर्माण में बाधा डालने और ट्रक आगजनी की घटनाओं में शामिल।

4. नंदू अवलम उर्फ दुर्गेश (गोंदिया डिवीजन के पार्टी सदस्य) 2007 से संगठन में, 1 लाख रुपये का इनामी, सड़क बाधा, ट्रक आगजनी और पुलिस मुठभेड़ों में शामिल।

5. भीमा वेको (पामेड़ एरिया कमेटी अंतर्गत सदस्य) 2015 से संगठन में सक्रिय, 1 लाख रुपये का इनामी, बुरकापाल मुठभेड़ में शामिल, जिसमें 28 जवान शहीद हुए थे।


माओवादियों ने आत्मसमर्पण के दौरान बताया कि संगठन में भेदभावपूर्ण नीतियों, अत्याचार और आदिवासियों के शोषण से वे परेशान थे। इसके अलावा छत्तीसगढ़ शासन की आत्मसमर्पण और पुनर्वास नीति ने उन्हें मुख्यधारा में लौटने के लिए प्रेरित किया।


इस अभियान का नेतृत्व पुलिस महानिरीक्षक बस्तर रेंज और उप पुलिस महानिरीक्षक दंतेवाड़ा रेंज के मार्गदर्शन में किया गया। बीजापुर पुलिस अधीक्षक डॉ. जितेंद्र कुमार यादव और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने माओवादियों के आत्मसमर्पण के दौरान उनके पुनर्वास का आश्वासन दिया। आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों को 25-25 हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि प्रदान की गई।


"नियद नेल्ला नार" योजना के तहत आदिवासी क्षेत्रों में सुरक्षा कैम्पों की स्थापना और विकास कार्यों ने माओवादियों को आत्मसमर्पण के लिए प्रेरित किया। शासन की नीति का उद्देश्य माओवादियों को मुख्यधारा में लाना और क्षेत्र में शांति स्थापित करना है।


माओवादियों के आत्मसमर्पण से क्षेत्र में माओवादी गतिविधियों में कमी आने की संभावना है। पुलिस और प्रशासन ने इसे एक बड़ी सफलता माना है, जो भविष्य में नक्सल उन्मूलन अभियान को और सशक्त बनाएगी।



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