भोले की भक्ति में डूबा भोपालपटनम, 500 कांवड़िए और 200 कलश श्रद्धालु महिलाओं ने किया भोलेनाथ का जलाभिषेक

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इंद्रावती नदी से जल लेकर भक्तों ने किया शिवलिंग का अभिषेक, मंदिर परिसर में रहा मेले जैसा माहौल



बीजापुर - श्रावण मास के पावन अवसर पर भोपालपटनम स्थित प्राचीन शिव मंदिर में चौथी वार्षिक भव्य कांवड़ यात्रा श्रद्धा और भक्ति भाव से सम्पन्न हुआ। इस विशेष आयोजन में नगर सहित आस-पास के ग्रामीण अंचलों से 500 कांवड़िए और 200 महिला श्रद्धालुओं ने कलश यात्रा में भाग लिया। श्रद्धालुओं ने इंद्रावती नदी तिमेड़ घाट से पवित्र जल भर, 4 किलोमीटर पैदल चलकर शिव मंदिर पहुँचे और भोलेनाथ का जलाभिषेक किया।



सुबह 8 बजे मां गंगा की पूजा-अर्चना के साथ कांवड़ यात्रा की शुरुआत हुई। पारंपरिक वस्त्रों में सजे श्रद्धालुओं ने कांधे पर कांवड़ उठाकर ‘हर हर महादेव’ और ‘बम-बम भोले’ के जयकारों के साथ मंदिर की ओर पदयात्रा की। जगह - जगह श्रद्धालुओं का फूलों की वर्षा से स्वागत किया गया। गोल्लागुड़ा चौक पर पेयजल की व्यवस्था पंचायत द्वारा की गई। मंदिर पहुंचकर सभी कांवड़ियों ने विधिवत रूप से शिवलिंग पर जलाभिषेक किया। यात्रा के पश्चात मंदिर समिति द्वारा सभी श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरण किया गया।


फूलों और तोरणों से सजा शिव धाम, कांवड़ और कलश यात्रा बनी आकर्षण



शिव मंदिर और आस-पास के परिसर को गेंदा फूलों, भगवा तोरणों और झंडों से सजाया गया। मंदिर परिसर पूरी तरह भक्ति की छाया में रंगा हुआ दिखाई दिया। श्रद्धालुओं के अनुसार इस वर्ष की सजावट विशेष रूप से आध्यात्मिक अनुभूति देने वाली रही। इस बार यात्रा की विशेष बात यह रही महिलाओं की उत्साहपूर्ण भागीदारी। 200 महिलाओं ने सिर पर कलश रखकर मंदिर तक पैदल यात्रा की और भगवान शिव की आराधना में सहभागी बनीं।


2022 से जारी परंपरा बनी जनआस्था का पर्व, प्रशासन को समिति का आभार


शिव मंदिर समिति के अध्यक्ष कमलसिह कोर्राम ने बताया कि कांवड़ यात्रा की यह परंपरा वर्ष 2022 से लगातार जारी है और हर वर्ष इसमें श्रद्धालुओं की भागीदारी बढ़ती जा रही है। इस आयोजन को सफल बनाने में नगरीय प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग, पुलिस प्रशासन ने भी महत्त्वपूर्ण सहयोग प्रदान किया। सुरक्षा, सफाई और पेयजल की व्यवस्था चाक-चौबंद रही।


श्रावण के चौथे सोमवार को आयोजित यह कांवड़ यात्रा भोपालपटनम में धार्मिक चेतना और संस्कृति का जीवंत उत्सव बनकर उभरी, जिसमें श्रद्धालुओं की आस्था देखते ही बन रही थी।




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