341 बच्चों पर सिर्फ एक शौचालय, बैठने को जगह नहीं, शाला प्रबंधन समिति ने निरीक्षण में उजागर की खामियां
बीजापुर - जिले के भोपालपटनम ब्लाक अंतर्गत स्वामी आत्मानंद विद्यालय, मद्देड़ में मूलभूत सुविधाओं की समस्या सामने आई है।
वर्ष 2022 से संचालित इस विद्यालय में शैक्षणिक गुणवत्ता तो है, लेकिन आधारभूत ढांचे की हालत बेहद दयनीय बनी हुई है। हाल ही में शाला प्रबंधन समिति के अध्यक्ष संतोष पुजारी, उपाध्यक्ष शोभा दुबे और अन्य सदस्यों ने विद्यालय का निरीक्षण कर कई गंभीर कमियों को चिन्हित किया है।
छत बनी मुसीबत, क्लास रूम में टपक रहा पानी
अध्यक्ष संतोष पुजारी ने बताया की लगातार दो दिन बारिश होने पर विद्यालय की छत टपकने लगी है। छत की लीकेज के कारण पानी सीधे कक्षा की कक्षों में घुस रहा है, जिससे छात्र-छात्राओं को बैठने और पढ़ाई करने में दिक्कतें हो रही हैं। निरीक्षण में यह भी देखा गया कि छत का प्लास्टर कई जगहों पर गिर चुका है, जो कि बच्चों की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बन चुका है।
रूम की भारी कमी, 11वीं-12वीं की कक्षाएं हो रहीं प्रभावित
विद्यालय में कक्षा पहली से बारहवीं तक की कक्षाएं संचालित हो रही हैं, किंतु रूम की कमी के कारण विशेषकर 11वीं और 12वीं के विद्यार्थियों को बैठने की भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। एक तरफ छात्रों की दर्ज संख्या बढ़ रही है, दूसरी ओर आधारभूत सुविधाओं का अभाव शिक्षा की गुणवत्ता को प्रभावित कर रहा है।
341 छात्रों के लिए सिर्फ एक शौचालय, छात्राओं की सुरक्षा पर सवाल
विद्यालय में 185 छात्र एवं 156 छात्राएं, कुल 341 विद्यार्थी दर्ज हैं। मगर इतने छात्रों के लिए मात्र एक पुराना शौचालय ही उपलब्ध है, जो पूर्व माध्यमिक शाला से विरासत में मिला है।
निरीक्षण में यह भी सामने आया कि छात्राओं के लिए अलग से शौचालय की कोई सुरक्षित व्यवस्था नहीं है, जो उनकी गोपनीयता और सुरक्षा के लिहाज से अत्यंत चिंताजनक है। समिति के अनुसार, कम से कम चार से पांच शौचालयों का निर्माण आवश्यक है, जिसमें लड़कियों के लिए अलग व्यवस्था भी होनी चाहिए थी।
पहले भी भेजा गया था प्रस्ताव, अधिकारियों ने नहीं दी ध्यान
समिति सदस्यों ने जानकारी दी कि पूर्व में भी भवन की मरम्मत और अन्य आवश्यकताओं को लेकर मांग पत्र तैयार कर अधिकारियों को भेजा गया था, लेकिन इस पर कोई कार्रवाई नहीं किया गया। अब पुनः कलेक्टर महोदय के पास शाला प्रबंधन समिति स्वयं उपस्थित होकर मरम्मत और अन्य आवश्यकताओं का मांग पत्र देने की बात कही गई।
इस गंभीर स्थिति को उजागर करने के बाद अब देखना यह होगा कि शिक्षा विभाग और जिला प्रशासन कब तक इसे संज्ञान में लेते हैं, और क्या जल्द ही मरम्मत, शौचालय निर्माण और कक्षों की व्यवस्था की जाएगी या नहीं। फिलहाल छात्र-छात्राएं असुविधाओं में शिक्षा लेने को मजबूर हैं और विद्यालय प्रबंधन समिति की उम्मीदें प्रशासन पर टिकी हुई हैं।






