दो दिन बीतने के बाद भी नहीं दर्ज हुई एफआईआर, गुस्साए कर्मचारियों ने प्रशासन पर लगाया आरोप
बीजापुर - जिले के भैरमगढ़ क्षेत्र में गुरुवार शाम घटित पुलिस व्दारा पंचायत कर्मचारियों को बेरहमी से पिटाई के बाद अब पूरा मामला प्रशासनिक पक्षपात के आरोपों की ओर मुड़ता दिख रहा है। जनपद पंचायत के तकनीकी सहायक संतोष कुंजाम और पंचायत सचिव बाबूराव पुलसे पर एसडीओपी ब्रिज किशोर यादव और उनके सुरक्षाकर्मियों द्वारा कथित रूप से की गई बर्बर मारपीट के मामले में अब तक एसडीओपी के खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की गई है, शनिवार को कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन, सर्व संविदा कर्मचारी संघ, पंचायत सचिव संघ, रोजगार सचिव संघ समेत कई सामाजिक संगठनों ने संयुक्त प्रेस वार्ता कर आरोप लगाया है।
क्या हुआ था घटना के दिन
संतोष कुंजाम (तकनीकी सहायक) ने प्रेस वार्ता में बताया की गुरुवार शाम करीब पांच बजे उसकापटनम गांव से लौटते समय गाड़ी गुड़मा के पास तुमला नाले के समीप थी, तभी पीछे से आ रही एसडीओपी की गाड़ी को सकरा रास्ता होने के कारण रास्ता नहीं मिल पाया। इसी बात पर गुस्साए एसडीओपी ने गाड़ी रुकवाकर अपने सुरक्षाकर्मियों के साथ मिलकर दोनों कर्मचारियों को गाड़ी से जबरन उतारकर लात-घूंसों, डंडों और बंदूक की बट से बेरहमी से पीटा। भैरमगढ़ थाने पहुंचकर शिकायत दर्ज कराई, लेकिन दो दिन बीत जाने के बाद भी एफआईआर दर्ज नहीं की गई।
पुलिस की चुप्पी पर उठे सवाल
अब सवाल उठ रहा है कि जब पीड़ितों ने स्पष्ट रूप से अपनी शिकायत में एसडीओपी का नाम लिया है, तो अब तक उस पर कोई प्राथमिकी क्यों नहीं दर्ज की गई? कर्मचारी संगठनों का आरोप है कि पुलिस प्रशासन एसडीओपी को बचाने की कोशिश कर रहा है और जानबूझकर मामले को टाल रहा है।
संघों की चेतावनी – अगर सोमवार तक एफआईआर नहीं...
इस पक्षपातपूर्ण रवैये के खिलाफ शुक्रवार को कर्मचारियों ने भैरमगढ़ में रैली निकालकर ज्ञापन सौंपा, और शनिवार को कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन, सर्व संविदा कर्मचारी संघ, पंचायत सचिव संघ, रोजगार सचिव संघ समेत कई सामाजिक संगठनों ने संयुक्त प्रेस वार्ता की।
उन्होंने एक सुर में चेतावनी दी कि यदि सोमवार तक एसडीओपी के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं होती, तो वे बीजापुर एसपी कार्यालय तक न्याय रैली निकालेंगे, कार्यालय का घेराव करेंगे और जिलेभर में अनिश्चितकालीन कामबंद और कलमबंद हड़ताल शुरू करेंगे।
पुलिस की अब तक की कार्रवाई - न्याय अधूरा?
हालांकि, पुलिस अधीक्षक बीजापुर द्वारा घटना की प्रारंभिक जांच के बाद दो सुरक्षाकर्मियों दिवा जितेन्द्र और सोमारू उरसा को निलंबित कर दिया गया है और विभागीय जांच शुरू कर दी गई है, लेकिन मुख्य आरोपी यानी एसडीओपी पर अब तक कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की गई है, जिससे मामले की निष्पक्षता पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
पुलिस प्रशासन की निष्क्रियता और एसडीओपी पर कार्रवाई से बचने की रणनीति को लेकर अब सवालों का घेरा गहराता जा रहा है। सोमवार तक एसडीओपी पर केस दर्ज न होने की स्थिति में पूरे बीजापुर जिले में प्रशासन को एक बड़े कर्मचारी आंदोलन का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में जिला प्रशासन के सामने कानून-व्यवस्था बनाए रखने की बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है।
