सड़क पर साइड नहीं देने पर एसडीओपी ने सरकारी कर्मचारियों को पीटा, मारपीट का आवेदन थाने में सौंपा गया
बीजापुर - जिले के कुटरू क्षेत्र में पुलिस और पंचायत कर्मियों के बीच ऐसा विवाद हुआ जिसने प्रशासन और पंचायत विभाग के बीच टकराव की स्थिति पैदा कर दी है। भैरमगढ़ जनपद पंचायत के तकनीकी सहायक संतोष कुंजाम और ग्राम पंचायत उसकापटनम के सचिव बाबू राव पुलसे के साथ कुटरू एसडीओपी ब्रज किशोर यादव द्वारा मारपीट किया गया है।
सड़क पर साइड न देने पर अधिकारी का पारा चढ़ा, सरकारी कर्मचारी से की हाथापाई
प्राप्त जानकारी के अनुसार, तकनीकी सहायक संतोष कुंजाम और ग्राम पंचायत उसकापटनम के सचिव बाबू राव पुलसे विभागीय कार्य निपटाकर अपने निजी वाहन से लौट रहे थे, जबकि एसडीओपी भी उसी रास्ते पर अपने वाहन से जा रहे थे। पुल के पास साइड न मिलने पर पहले कहासुनी हुई, जो देखते ही देखते मारपीट में बदल गई। एसडीओपी ने सुरक्षाकर्मियों के साथ मिलकर दोनों कर्मचारियों के साथ न सिर्फ मारपीट की, बल्कि उन्हें अपमानित करते हुए बीच सड़क पर पीटा।
पिटाई के गहरे निशान, वायरल हुईं दर्दनाक तस्वीरें
घटना के बाद सोशल मीडिया पर जो तस्वीरें वायरल हुई हैं, वे बेहद झकझोर देने वाली हैं। तस्वीरों में साफ देखा जा सकता है कि तकनीकी सहायक संतोष कुंजाम के शरीर पर जगह-जगह गहरे चोट के निशान हैं। उनके पीठ पर आई सूजन और खून के धब्बे इस बात का प्रमाण हैं कि उनके साथ बर्बरतापूर्वक मारपीट की गई। बताया जा रहा है कि उन्हें बीच सड़क पर मारा गया, बल्कि उनके साथ अभद्र व्यवहार भी किया गया।
थाने में सौंपा गया शिकायत पत्र, कार्रवाई की मांग
घटना के बाद तकनीकी सहायक संतोष कुंजाम द्वारा थाने में एक लिखित शिकायत दी गई है, जिसकी कॉपी वायरल हो रही है। इस आवेदन में घटना का पूरा विवरण मौजूद है। आवेदन में मांग की गई है कि एसडीओपी के खिलाफ अपराध पंजीबद्ध कर मेडिकल परीक्षण कराया जाए।
कर्मचारियों का विरोध, एफआईआर दर्ज होने तक काम ठप
पिटाई की घटना के बाद जिला पंचायत और जनपद पंचायत के सैकड़ों कर्मचारी भैरमगढ़ थाने पहुंचे। उन्होंने एसडीओपी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की। लेकिन खबर लिखे जाने तक कोई केस दर्ज नहीं हुआ है।
पंचायत कर्मचारी संघ ने चेतावनी दी है कि जब तक एफआईआर दर्ज नहीं होती और दोषी अधिकारी पर कार्रवाई नहीं होती, तब तक सभी कर्मचारी कार्य बहिष्कार पर रहेंगे।
पुलिस और पंचायत विभाग के बीच यह टकराव अब प्रशासनिक चुनौती बन चुका है। यदि जल्द ही निष्पक्ष कार्रवाई नहीं की गई, तो यह विवाद और भी उग्र एवं ग्रामीण क्षेत्र में पंचायतों का कामकाज टप हो सकता है।






