कर्रेगुट्टा ऑपरेशन - 16वें दिन सुरक्षा बलों ने 22 माओवादियों को किया ढेर, 18 माओवादियों के शव मौके पर बरामद, शाम तक संख्या और बढ़ने की संभावना

0


फाइल फोटो 


बीजापुर - जहां एक ओर पाकिस्तान को भारत ने सीमापार जवाब दिया है, वहीं देश के भीतर भी सुरक्षा बलों व्दारा सफलतापूर्वक लड़ा जा रहा है। बीजापुर जिले की कर्रेगुट्टा पहाड़ियों में 16 दिनों से चल रहे नक्सल ऑपरेशन में 22 माओवादियों को सुरक्षा बलों ने मार गिराया है, वहीं 18 माओवादियों के शव मौके पर बरामद किए गए हैं। इससे पूर्व 4 माओवादियों को पहले ही ढेर किया गया।


कर्रेगुट्टा पहाड़ियों पर कब्जा, ऑपरेशन निर्णायक मोड़ पर


बीजापुर के दुर्गम और नक्सल प्रभावित इलाके कर्रेगुट्टा की पहाड़ियों पर सुरक्षा बलों ने अब पूरी तरह नियंत्रण स्थापित कर लिया है। यह क्षेत्र माओवादियों के लिए सुरक्षित गढ़ माना जाता था, लेकिन अब उनकी रीढ़ को तोड़ने वाला निर्णायक ऑपरेशन चलाया गया है।


इस हाई-लेवल ऑपरेशन की निगरानी स्वयं सीआरपीएफ के डीजी ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह कर रहे हैं, जो दिल्ली से पल-पल की जानकारी ले रहे हैं। वहीं छत्तीसगढ़ के एडीजी नक्सल ऑपरेशन विवेकानंद सिन्हा, सीआरपीएफ आईजी राकेश अग्रवाल और बस्तर आईजी पी. सुंदरराज ऑपरेशन को फील्ड से मॉनिटर कर रहे हैं।


DRG, कोबरा, STF और CRPF के जवानों की अदम्य बहादुरी


जमीनी कार्रवाई में DRG, कोबरा, STF और CRPF के संयुक्त बलों ने अभूतपूर्व साहस दिखाया है। जवान दुर्गम पहाड़ियों, घने जंगलों और खतरनाक गुफाओं में घुसकर नक्सलियों को उन्हीं के ठिकानों पर ध्वस्त कर रहे हैं।


ड्रोन कैमरों के जरिए 24 घंटे निगरानी की जा रही है। MI-17 हेलीकॉप्टरों से न केवल हवाई गश्त, बल्कि एयरलिफ्टिंग और आवश्यक सामग्री पहुंचाई जा रही है। थर्मल इमेजिंग, सैटेलाइट मैपिंग से हर माओवादी मूवमेंट पर नजर रखी जा रही है। इन अत्याधुनिक तकनीकों की मदद से माओवादियों के गढ़ को निशाने पर लेकर सटीक कार्रवाई की जा रही है।


संख्या और बढ़ सकती है, सर्चिंग अभियान जारी


फिलहाल इलाके में सर्चिंग ऑपरेशन लगातार जारी है।

गुफाओं, खोहों और जंगलों की गहन तलाशी ली जा रही है। ऐसे में यह अनुमान लगाया जा रहा है कि शाम तक मारे गए माओवादियों की संख्या और भी बढ़ सकती है।


सुरक्षा बलों का ऑपरेशन केवल एक सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि देश के आंतरिक सुरक्षा तंत्र की रणनीतिक सफलता का प्रमाण बनकर उभर रहा है। नक्सलवाद के गढ़ माने जाने वाले बस्तर में यह अभियान लंबे समय तक असर छोड़ने वाला ऐतिहासिक पड़ाव बन सकता है।



Image

Post a Comment

0Comments
Post a Comment (0)
Blogger Templates