उत्तर-पश्चिम सब जोनल ब्यूरो ने 8 अप्रैल को प्रेस वक्तव्य किया जारी
बीजापुर - माओवादियों के उत्तर - पश्चिम सब जोनल ब्यूरो के प्रभारी रूपेश द्वारा हस्ताक्षरित एक प्रेस वक्तव्य के माध्यम से माओवादी संगठन ने छत्तीसगढ़ सरकार के साथ शांति वार्ता की इच्छा जताई है। संगठन ने स्पष्ट किया है कि वार्ता तभी संभव है जब सरकार विश्वासपूर्ण और अनुकूल वातावरण तैयार करे।
वक्तव्य में कहा गया है कि वार्ता का अंतिम निर्णय केंद्रीय और डिवीजनल कमेटी ही लेंगी, लेकिन मौजूदा हालात में यह प्रतिक्रिया तत्काल नहीं दी जा सकती। वक्तव्य को एक सकारात्मक प्रयास बताया गया है ताकि बस्तर में हिंसा और हत्याओं को रोका जा सके।
सरकारी रुख पर नाराजगी, आत्मसमर्पण नीति को बताया अव्यावहारिक
माओवादियों ने उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा की प्रतिक्रिया पर असहमति जताते हुए कहा कि सरकार अनुकूल माहौल की मांग को नजरअंदाज कर रही है। उन्होंने आत्मसमर्पण नीति को एकतरफा और अव्यावहारिक करार देते हुए कहा कि यह शांति की दिशा में बाधक है।
संगठन ने कहा कि वरिष्ठ नेतृत्व से संपर्क और स्थानीय रायशुमारी मौजूदा सैन्य अभियानों के चलते संभव नहीं हो पा रही है। 'कगार अभियान' जैसे अभियानों को रोकने की मांग करते हुए उन्होंने वार्ता के लिए जरूरी माहौल की आवश्यकता पर बल दिया। लगातार हो रही हिंसा और सैन्य कार्रवाई के कारण युवाओं में डर और पलायन की प्रवृत्ति बढ़ी है। संगठन ने सरकार से जनहित में ठोस फैसले लेने की अपील की है।
बुद्धिजीवियों और मानवाधिकार संगठनों से समर्थन की अपील
माओवादियों ने देशभर के बुद्धिजीवियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और पत्रकारों से अपील की है कि वे वार्ता प्रक्रिया को समर्थन दें और सरकार पर सकारात्मक माहौल बनाने के लिए दबाव बनाएं।
संगठन ने मीडिया में फैलाई जा रही इस बात को गलत बताया कि माओवादी नेतृत्व भाग गया है। उन्होंने इसे आंदोलन के तहत सामान्य स्थानांतरण बताया और कामरेड रेणुका के समर्पण का उदाहरण दिया।
माओवादियों ने कहा कि वे स्कूल, अस्पताल और अन्य सेवाओं के खिलाफ नहीं हैं, बल्कि इन्हें बेहतर तरीके से चलाने की मांग करते हैं। उन्होंने स्वीकार किया कि कुछ गलतियां हुई हैं और इसके लिए जनता से माफी मांगी गई थी।
संगठन ने अपने कैडर से संयम बरतने की अपील की है और पुलिस जवानों से आग्रह किया है कि वे माओवादियों को दुश्मन न समझें और आपसी संघर्ष खत्म करने में सहयोग करें।
वक्तव्य के अंत में संगठन ने संकेत दिया है कि यदि सरकार की ओर से सकारात्मक पहल होती है, तो पूर्ण युद्धविराम लागू किया जा सकता है और भविष्य की रणनीति पर विचार किया जाएगा।

