बीजापुर - छत्तीसगढ़ सरकार एवं मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय की मंशा के अनुरूप, जनजातीय बाहुल्य बस्तर संभाग की समृद्ध संस्कृति, परंपराओं, लोककला, वेशभूषा, खान-पान, रीति-रिवाज एवं नृत्य-संगीत को संरक्षित और संवर्धित करने के उद्देश्य से "बस्तर पंडुम 2025" का भव्य आयोजन किया गया। इस महोत्सव का आयोजन कलेक्टर श्री संबित मिश्रा के मार्गदर्शन में बीजापुर जिले के चारों जनपदों में किया गया।
भोपालपटनम एवं भैरमगढ़ में ब्लॉक स्तरीय आयोजन की सफल समाप्ति के बाद, अब जिला स्तरीय प्रतियोगिता के लिए प्रतिभागियों का अंतिम चयन किया गया। वहीं, बीजापुर एवं उसूर ब्लॉक में ब्लॉक स्तरीय प्रतियोगिता का समापन 19 मार्च को किया जाएगा।
जनजातीय समाज में उत्साह, परंपरा को संरक्षण देने की सराहना
बस्तर पंडुम 2025 को लेकर जिले के बैगा, गुनिया, सिरहा, पुजारी एवं जनजातीय समाज के प्रमुखों ने मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय की परिकल्पना का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि यह महोत्सव आदिवासी समाज की संस्कृति, रीति-रिवाजों एवं जीवनशैली को संरक्षित करने का महत्वपूर्ण प्रयास है। इस आयोजन में जनजातीय समाज का अद्भुत संगम देखने को मिला, जिससे आदिवासी समुदाय में खासा उत्साह है।
बस्तर पंडुम 2025 के व्यापक प्रचार-प्रसार के कारण सुदूर क्षेत्रों से भी जनजातीय समुदाय के लोग अपनी पारंपरिक कला, रीति-रिवाजों एवं सांस्कृतिक गतिविधियों का प्रदर्शन करने के लिए पहुंचे। नेल्लानार, पामेड़, मुरदंडा जैसे अत्यंत दूरस्थ क्षेत्रों के कलाकारों और नृत्य दलों ने अपनी शानदार प्रस्तुतियों से आयोजन को और भी आकर्षक बना दिया।
पारंपरिक जनजातीय व्यंजन और पेय पदार्थ बने आकर्षण का केंद्र
इस महोत्सव में जनजातीय व्यंजन एवं पेय पदार्थों के स्टॉल विशेष आकर्षण का केंद्र बने। इनमें सल्फी, ताड़ी, छिंदरस, हंडिया पेज, कोसमा मांड, चापड़ा चटनी जैसे स्वादिष्ट और पारंपरिक खाद्य पदार्थों ने दर्शकों का मन मोह लिया। इसके साथ ही, जनजातीय नृत्य और पारंपरिक वेशभूषा में सजे कलाकारों की प्रस्तुति ने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।
चारों ब्लॉकों में आयोजित इस महोत्सव में जनप्रतिनिधियों, प्रशासनिक अधिकारियों और आम नागरिकों ने पूरे उत्साह से भाग लिया। बस्तर पंडुम 2025 की भव्यता ने इस आयोजन को ऐतिहासिक बना दिया, जहां संस्कृति, परंपरा और कला का अनूठा संगम देखने को मिला।




