नक्सली संगठन ने स्वीकारा - 2025 मुठभेड़ों में अब तक 78 नक्सली मारे गए, माओवादियों ने खुद जारी किया ब्यौरा

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बीजापुर - छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र में लंबे समय से सक्रिय भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) ने एक प्रेस नोट जारी कर वर्ष 2025 के शुरुआती महीनों में हुई मुठभेड़ों में अपने 78 साथियों की मौत की बात स्वीकार की है। नक्सलियों के पश्चिम बस्तर संभाग के प्रवक्ता मोहन द्वारा जारी इस विज्ञप्ति में केंद्र और राज्य सरकारों पर फासीवादी कार्रवाई करने का आरोप लगाया गया है। विज्ञप्ति में माओवादियों ने इन हत्याओं के विरोध में 4 अप्रैल को बीजापुर जिले में बंद का आह्वान किया है।


प्रेस विज्ञप्ति तेलुगु भाषा में लिखा होने कारण इसे गूगल की मदद से भाषा परिवर्तन किया गया है




78 माओवादियों की मौत, घटनाओं का विस्तृत ब्यौरा


प्रवक्ता मोहन द्वारा जारी इस विज्ञप्ति में जनवरी से मार्च 2025 तक छत्तीसगढ़ के बीजापुर, कांकेर, दंतेवाड़ा और नारायणपुर जिलों में हुई पुलिस और अर्धसैनिक बलों की मुठभेड़ों में उनके कई वरिष्ठ और सक्रिय कार्यकर्ताओं सहित कुल 78 माओवादी मारे गए। सबसे बड़ी घटनाओं में 12 जनवरी बंदेपारा के पास 5 माओवादी, 1 फरवरी तोडा गांव में 7 ग्रामीणों और एक माओवादी की हत्या, 9 फरवरी जालीपेरु में 31 माओवादी, 20 मार्च गंगालूर क्षेत्र में 26 माओवादी, 25 मार्च माड़ डिवीजन में 3 माओवादी मारे गए।


प्रेस नोट में मारे गए नक्सलियों के नाम और पदवार जानकारी भी दी गई है। इनमें कई बड़े कमांडर, एरिया कमेटी सदस्य और पीएलजीए कमांडर शामिल हैं।


1. कामरेड कादिति सीथो (डी.वी.सी.एम., दंतेवाड़ा जिला, मुंडेर गांव) डी.के. महिला उप-समिति

2. कॉमरेड पूनेम सुक्की (एसीएम, बीजापुर जिला, पूस नार गांव) पिडिया एलओएस कमांडर

3. कॉमरेड मदकम वागा (पीपीसीएम बीजापुर जिला, सामरा गांव) 13वीं पीएल कमांडर

4. कॉमरेड पूनम बदरू (पीपीसीएम, बीजापुर जिला, मुलंगा गांव) 13वीं पी.एल.

5. कॉमरेड पदम कोसी (पीपीसीएम, बीजापुर जिला, डोड थुमुनार गांव) 13वीं पीएल

6. कॉमरेड लेकम क्रांति (एसीएम, बीजापुर जिला, पेद्दाम गांव) गंगालूर क्षेत्र

7. कॉमरेड ओयम सुखराम (एसीएम बीजापुर जिला, तिम्मेनार गांव) गणपुर जन मिलिशिया के कमांडर

8. कॉमरेड आपका सुकाई (एसीएम बीजापुर जिला, काकेकोरसा गांव)

9. कॉमरेड कुंजाम मधु (प्रधानमंत्री, जिला बीजापुर, गणपुर गांव) संभाग संचार

10. कॉमरेड प्रसिक वर्गीस (प्रधानमंत्री, जिला बीजापुर, मुदिवेंडी गांव) 13वीं पी.एल.

11. कॉमरेड पोडियम मोटू (प्रधानमंत्री, जैजापुर जिला, अकवा गांव) 13वीं पी.एल.

12. कॉमरेड कोरसा पडाल (प्रधानमंत्री, जिला बीजापुर, कोकरा गांव) गार्ड 13वीं पी.एल.

13. कॉमरेड रेंगो सरिता (प्रधानमंत्री, जिला बीजापुर, बेल्लामनेन्द्रा गांव) 13वीं पी.एल.

14. कॉमरेड वेको जुन्नी (पी.एम. जिला बीजापुर, दलेरू गांव) 13वीं पी.एल.

15. कामरेड मादिवी सुशीला (एसीएम, बीजापुर जिला, उर्रेपाल गांव) 13वीं पी.एल. बैरागढ़ एरिया मिलिशिया की कमांडर-इन-चीफ

16. कॉमरेड कुरसम जितेन (पी.एम. जिला बीजापुर, कट्टापल्ली गांव) 13वीं पी.एल. चिकित्सक

17. ओयाम लकमा (पी.एम. जिला बीजापुर, पीडिया गांव) 13वीं पी.एल.

18. कामरेड हेमला उमेश (पी.एम. जिला बीजापुर, वेदिसेरे गांव) 13वीं पी.एल.

19. कॉमरेड ओयाम मंगू (पी.एम. जिला बीजापुर, पिडिया गांव) 13वीं पी.एल.

20. कॉमरेड पूनेम लाची (पी.एम., जिला बीजापुर, डोड थुमुनार गांव) पीडिया एल.ओ.एस.

21. कॉमरेड कामे (पी.एम.बीजापुर जिला, पामेड़ क्षेत्र, कोंजेर गांव) 13वीं पी.एल.

22. कॉमरेड पूनम राधा ( पी.एम.जिला बीजापुर, हिरोली गांव) संभाग संचार टीम

23. कामरेड मज्जी बबीता (पी.एम. जिला बीजापुर, मज्जिमेंद्री गांव) 13वीं पी.एल.

24. कुंजम संथु (पी.एम. जिला बीजापुर, गणपुर गांव)

उनके साथ दो नए साथी (25, 26) भी शहीद हो गए।


सरकारी कार्रवाई पर नक्सलियों के आरोप


नक्सली प्रवक्ता ने आरोप लगाया कि केंद्र और राज्य सरकारों ने दंडकारण्य क्षेत्र के खनिज संसाधनों और वनों की कॉर्पोरेट लूट को आसान बनाने के लिए माओवादियों और आदिवासियों को निशाना बनाया। उन्होंने कहा कि "कागर" नामक अभियान के तहत हजारों सुरक्षाबलों को तैनात किया गया है, जो आदिवासी समुदाय को उनके क्षेत्रों से जबरन विस्थापित करने और माओवादी आंदोलन को खत्म करने की योजना के तहत संचालित हो रहा है।


माओवादी संगठन का दावा है कि उनकी पार्टी दशकों से आदिवासी अधिकारों के लिए लड़ रही है। वे केंद्र और राज्य सरकारों की नीतियों को "जन-विरोधी" और "फासीवादी" बताते हुए उनके खिलाफ जनसामान्य से समर्थन जुटाने का प्रयास कर रहे हैं। माओवादियों ने 4 अप्रैल के बंद को जनता की आवाज बुलंद करने का माध्यम बताया है।


इसके अलावा, माओवादी प्रवक्ता ने सुरक्षा बलों पर 40 ग्रामीणों को गिरफ्तार करने और उन्हें बीजापुर ले जाने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि इन ग्रामीणों पर जबरन माओवादी समर्थक होने का आरोप लगाया गया है और उन्हें बिना किसी ठोस आधार के हिरासत में रखा गया है।



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