बीजापुर - माओवादी हिंसा से प्रभावित बीजापुर जिले के पुजारी कांकेर इलाके में सोमवार को ऐतिहासिक बदलाव देखने को मिला। दो दशक से बंद पड़ा साप्ताहिक बाजार एक बार फिर से शुरू हो गया, जिससे ग्रामीणों में हर्ष की लहर दौड़ गई। इस बहुप्रतीक्षित पहल से न केवल स्थानीय व्यापार को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि ग्रामीणों को भी अपनी रोजमर्रा की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए लंबी दूरी तय करने की मजबूरी से छुटकारा मिलेगा।
माओवादियों के प्रतिबंध और आर्थिक नाकेबंदी से था बाजार बंद
पुजारी कांकेर का यह साप्ताहिक बाजार कभी इस क्षेत्र की व्यापारिक गतिविधियों का केंद्र हुआ करता था। लेकिन माओवादियों के प्रभाव और उनके अघोषित प्रतिबंधों के चलते यह बंद हो गया था। ग्रामीणों को अपनी वनोपज बेचने और आवश्यक सामान खरीदने के लिए 30 से 40 किलोमीटर दूर उसूर और चेरला (तेलंगाना) तक पैदल जाना पड़ता था। माओवादियों द्वारा लगाई गई आर्थिक नाकेबंदी ने ग्रामीणों के जीवन को बेहद कठिन बना दिया था।
सुरक्षा बलों और प्रशासन के प्रयास से लौटी रौनक
हाल के वर्षों में नक्सल उन्मूलन के लिए सरकार और सुरक्षा बलों द्वारा चलाए गए अभियानों से क्षेत्र में स्थिति में सुधार हुआ है। इलाके में सुरक्षा कैंपों की स्थापना और सड़क निर्माण कार्य से आवाजाही सुगम हुई है। प्रशासन द्वारा पुजारी कांकेर तक बस सेवा शुरू करने के बाद अब ग्रामीणों को बेहतर परिवहन सुविधा भी मिल रही है।
इसी क्रम में, स्थानीय ग्रामीणों और सुरक्षा बलों की पहल से सोमवार को दो दशक बाद पहली बार पुजारी कांकेर में साप्ताहिक बाजार का आयोजन किया गया। बाजार में स्थानीय ग्रामीणों ने अपनी जरूरत का सामान खरीदा, वहीं अपनी उपज को बेचने के लिए भी रखा।
ग्रामीणों और व्यापारियों में खुशी की लहर
साप्ताहिक बाजार की बहाली से न केवल ग्रामीण बल्कि स्थानीय व्यापारी भी उत्साहित हैं। वनोपज से जुड़े व्यापारियों को अब अपने उत्पादों को बेचने के लिए दूर नहीं जाना पड़ेगा, जिससे उनकी आय में भी वृद्धि होगी।
पुजारी कांकेर में साप्ताहिक बाजार की पुनः शुरुआत व्यापारिक गतिविधियों को बढ़ावा देगी, बल्कि यह क्षेत्र के विकास और सामान्य जनजीवन की बहाली का भी प्रतीक है। प्रशासन और सुरक्षा बलों के सहयोग से अब यह इलाका एक नई राह पर आगे बढ़ रहा है, जहां ग्रामीण बिना भय और बाधा के अपनी आर्थिक गतिविधियों को संचालित कर सकेंगे।



