बीजापुर - जिले में 9 फरवरी को पुलिस और नक्सलियों के बीच हुई भीषण मुठभेड़ में कुल 31 नक्सली मारे गए थे। इस दौरान सुरक्षा बलों के दो जवान शहीद हुए, जबकि दो अन्य घायल हो गए थे। पुलिस का कहना है कि मारे गए नक्सली इलाके में सक्रिय थे और कई गंभीर मामलों में वांछित थे। इनमें से कई पर कुल मिलाकर 1 करोड़ 10 लाख रुपये का इनाम घोषित था।
नक्सलियों ने जारी की मारे गए सदस्यों की सूची
मुठभेड़ के बाद अब नक्सलियों की ओर से एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर 21 मारे गए साथियों की पहचान की पुष्टि की गई है। नक्सलियों के दक्षिण सब ज़ोनल ब्यूरो की प्रवक्ता समता ने बयान जारी कर इन मौतों की निंदा की और इसे "बर्बर हत्याकांड" करार दिया। उन्होंने कहा कि इस हमले में उनके कई साथी निहत्थे थे और कुछ ग्रामीण भी मारे गए।
मारे गए नक्सलियों की सूची इस प्रकार है :-
1. कल्मु उंगाल (डीवीसी सचिव)
2. ओयम सुभाष (एसीएम)
3. हेमला मंगु (पीपीसीएम)
4. माड़वी बजनी (एसीएम)
5. आपका सोनू (एसीएम)
6. उईका सोम्बारू (पीएम)
7. कुड़ियम रमेश (पीएम)
8. कड़ती मल्ली (पीएम)
9. पोयम मैनी (पीएम)
10. हेमला ज्योति (पीएम)
11. पोटाम केशा (पीएम)
12. मझी राजू (पीएम)
13. माड़वी सोनू (पीएम)
14. देशु (पीएम)
15. पूनेम रघू (पीएम)
16. मड़काम सुकमति (पीएम)
17. कुडियम मन्नी (पीएम)
18. माड़वी संजति (पीएम)
19. पूनेम मैनी (पीएम)
20. पोड़ियम शांति (पीएलजीए सदस्य)
21. कुम्मा संजय (पीएलजीए सदस्य)
नक्सलियों का आरोप है कि इस मुठभेड़ में पुलिस ने कई साथियों को पकड़कर यातनाएं दीं और उनकी हत्या कर दी, जिससे कई की पहचान मुश्किल हो गई है।
18 फरवरी को बंद का ऐलान
नक्सलियों ने इस मुठभेड़ के विरोध में 18 फरवरी को बीजापुर, सुकमा और दंतेवाड़ा जिलों में बंद का आह्वान किया है। नक्सल संगठन ने जनता, जनवादी संगठनों, मानवाधिकार संगठनों और विपक्षी दलों से इस बंद को समर्थन देने की अपील की है।
पुलिस सतर्क, सुरक्षा व्यवस्था कड़ी
नक्सलियों के बंद के ऐलान के बाद सुरक्षा एजेंसियां हाई अलर्ट पर हैं। बीजापुर, सुकमा और दंतेवाड़ा जिलों में पुलिस और अर्धसैनिक बलों की गश्त बढ़ा दी गई है। पुलिस के इस ऑपरेशन से नक्सलियों को बड़ा नुकसान हुआ है और उनके प्रभाव वाले इलाकों में सुरक्षा बलों का दबदबा बढ़ा है।
नक्सलियों ने सरकार पर लगाए गंभीर आरोप
नक्सलियों ने अपने बयान में राज्य और केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि "कगार" नाम से चलाए जा रहे सैन्य अभियानों के तहत आदिवासियों और ग्रामीणों का नरसंहार किया जा रहा है। प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि 1 फरवरी को बीजापुर के तोड़का कोर्चिल गांव में पुलिस ने 24 ग्रामीणों को गोली मारकर घायल किया और 8 की हत्या कर दी। 16 जनवरी को सिंगनपल्ली गांव में 4 ग्रामीणों को मारा गया और महिलाओं पर अत्याचार किया गया। नेशनल पार्क क्षेत्र से 72 गांवों को खाली करने के लिए दबाव डाला जा रहा है।
नक्सलियों ने अपने बयान में केंद्र और राज्य सरकार पर कॉर्पोरेट समर्थक नीतियों को लागू करने और जनता पर फासीवादी हमले करने का आरोप लगाया।
नक्सलियों द्वारा बुलाए गए बंद के चलते बीजापुर, सुकमा और दंतेवाड़ा में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। पुलिस और सुरक्षा बलों की अतिरिक्त टुकड़ियां तैनात की गई हैं, ताकि किसी भी संभावित हिंसा को रोका जा सके।
सरकार और प्रशासन का कहना है कि वे आदिवासियों के कल्याण के लिए काम कर रहे हैं और नक्सलियों के दुष्प्रचार से जनता को गुमराह नहीं होना चाहिए। वहीं, नक्सली अपने आंदोलन को और तेज करने की धमकी दे रहे हैं।





