बीजापुर - पत्रकार मुकेश चन्द्राकर की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज होने के बाद, जांच टीम (SIT) का गठन किया गया। इस रिपोर्ट में SIT द्वारा किए गए हर कदम को विस्तार से रखा गया है, ताकि हर व्यक्ति को यह पूरी जानकारी मिल सके कि इस जघन्य हत्याकाण्ड में कैसे पुलिस ने सबूत जुटाए और अपराधियों तक पहुंची।
गुमशुदगी की रिपोर्ट और शुरुआती जांच
2 जनवरी 2025 को, श्री मुकेश चन्द्राकर के बड़े भाई श्री युकेश चन्द्राकर ने पत्रकार साथियों के साथ थाना जाकर उनके गुमशुदा होने की रिपोर्ट दर्ज कराई। पुलिस ने तुरंत गुमशुदा व्यक्ति की तलाश के लिए सायबर सेल और अतिरिक्त बलों को तैनात किया।
पुलिस ने मुकेश के सभी मोबाइल नंबरों की लोकेशन चेक की, और शुरुआती जानकारी मिली कि उनका फोन भैरमगढ़ और नूकनपाल क्षेत्र से ट्रेस हो रहा था। इसके बाद, पुलिस ने कई स्थानों पर खोजबीन की, लेकिन कोई पुख्ता जानकारी नहीं मिली।
सीडीआर और तकनीकी सबूतों की मदद से जांच
पुलिस ने मुकेश के मोबाइल के CDR (Call Detail Record) की जांच की, और पाया कि रितेश चन्द्राकर और मुकेश के बीच आखिरी कॉल्स रात्रि 8:30 से 10:00 बजे के बीच हुई थीं। इसके बाद पुलिस का संदेह रितेश पर गहरा हो गया।
2 जनवरी को रितेश की लोकेशन रायपुर के कोण्डागांव टोल प्लाजा पर पाई गई थी, और बाद में एयरपोर्ट पर भी वह उसी वाहन में दिखाई दिया। इसके बाद रितेश के टिकट की जानकारी प्राप्त की गई, जो 2 जनवरी को दिल्ली के लिए ऑनलाइन बुक हुआ था।
दूसरे संदिग्धों और घटना के खुलासे की प्रक्रिया
दिनेश चन्द्राकर, रितेश के भाई, से पूछताछ की गई। प्रारंभ में उसने कोई जानकारी नहीं दी, लेकिन बाद में सख्त पूछताछ में उसने खुलासा किया कि रितेश और महेन्द्र रामटेके ने मिलकर मुकेश की हत्या की थी। इसके बाद महेन्द्र को गिरफ्तार किया गया, जिसने अपना अपराध स्वीकार कर लिया।
पुलिस ने 3 जनवरी को घटनास्थल चट्टानपारा स्थित बाड़े के सेप्टीक टैंक की खुदाई की और वहां से मुकेश का शव बरामद किया। शव की पहचान मुकेश चन्द्राकर के रूप में हुई। घटना में शामिल अन्य आरोपियों को गिरफ्तार किया गया और उनसे पूछताछ की गई।
हत्या की साजिश का खुलासा
जांच में यह सामने आया कि सुरेश चन्द्राकर, मुकेश के रिश्तेदार, ने अपने भाईयों के साथ मिलकर मुकेश की हत्या की साजिश बनाई थी। मुकेश ने उनके ठेका कार्यों के खिलाफ एक न्यूज़ स्टोरी की थी, जिसकी वजह से इन लोगों ने रुष्ट होकर उसे मारने का निर्णय लिया था।
आरोपियों की गिरफ्तारी और सबूतों की बरामदगी
पुलिस ने सभी आरोपियों को हिरासत में लिया और उनसे पूछताछ के दौरान घटना में प्रयुक्त राड, कपड़े, मोबाइल, और अन्य साक्ष्य बरामद किए। आरोपी सुरेश चन्द्राकर को 5 जनवरी को हैदराबाद से गिरफ्तार किया गया।
जांच के दौरान यह भी पता चला कि सुरेश ने घटना से 4-5 दिन पहले ही बड़ी रकम अपने बैंक खाते से निकाली थी, जिसे एसआईटी द्वारा जांचा जा रहा है। घटना में प्रयुक्त उपकरणों और अन्य महत्वपूर्ण भौतिक साक्ष्यों का फोरेंसिक जांच किया जा रहा है।
न्यायिक प्रक्रिया और भविष्य की कार्रवाई
3 जनवरी 2025 को आरोपियों को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया और मामले की विस्तृत जांच जारी है। पुलिस ने घटनास्थल का पुनः निरीक्षण किया और सीडीआर व अन्य तकनीकी साक्ष्यों का विश्लेषण किया।
एसआईटी टीम ने इस मामले में महाराष्ट्र, तेलंगाना और उड़ीसा पुलिस की मदद ली और आरोपियों को गिरफ्तार करने में सफलता प्राप्त की। सभी वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा मामले की गहन निगरानी की जा रही है।
पुलिस ने इस जघन्य हत्या कांड की सख्ती से जांच की है, और सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। घटना में किसी अन्य व्यक्ति की संलिप्तता की जांच जारी है, और पुलिस हर पहलू को बारीकी से जांच रही है।
एसआईटी टीम ने आधुनिक तकनीकी उपकरणों जैसे AI और OSINT Tools का भी उपयोग किया है, ताकि हर एक सुराग को ढूंढा जा सके और अपराधियों को सजा दिलाई जा सके।
यह मामला न केवल एक पत्रकार की हत्या का है, बल्कि यह हमारे समाज में उन लोगों की प्रवृत्ति को उजागर करता है जो सत्ता और धन के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं।

