बीजापुर में आदिवासी जमीन हड़पने का बड़ा खुलासा, कांग्रेस ने की न्यायिक जांच की मांग

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बीजापुर - आदिवासियों की पैतृक जमीनों पर अवैध कब्जे और फर्जीवाड़े का मामला एक बार फिर सुर्खियों में है। उसूर तहसील के संकनपल्ली गांव में लगभग 41 हेक्टेयर आदिवासी कृषिभूमि को कथित तौर पर प्रशासनिक मिलीभगत और कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर गैर-आदिवासियों के नाम करने का आरोप कांग्रेस ने लगाया है। इस गंभीर मामले को जिला मुख्यालय में प्रेस वार्ता के दौरान बीजापुर विधायक विक्रम मंडावी ने उजागर किया।

विधायक मंडावी ने आरोप लगाया कि संविधान की पांचवीं अनुसूची, पेसा कानून और पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तार) अधिनियम की अवहेलना करते हुए आदिवासी परिवारों की बहुमूल्य जमीनों को गुपचुप तरीके से गैर-आदिवासी व्यक्तियों को स्थानांतरित किया गया। उन्होंने बताया कि संकनपल्ली गांव की इन जमीनों पर पीढ़ियों से आदिवासी परिवार खेती करते आए हैं, परंतु कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर इन्हें पहले स्थानीय निवासी रामसिंग यादव के नाम दर्ज किया गया और बाद में जगदलपुर के कमलदेव झा व अन्य दो व्यक्तियों को बेच दिया गया।

जिन खसरा नंबरों की जमीन इस सौदे में शामिल की गई, वे मूल रूप से निम्नलिखित आदिवासी परिवारों के नाम दर्ज है जो इस प्रकार हैं- 1. खसरा 314 (5.634 हे.) – श्रीमती बतक्का यालम 
2. खसरा 400 (5.831 हे.) – यालम लक्ष्मीनारायण, कामेश यालम 3. खसरा 435 (6.144 हे.) – यालम लक्ष्मीनारायण 
4. खसरा 437 (5.843 हे.) – धरमैया यालम, पवन, राजैया, गौरैया 5. खसरा 613 (4.897 हे.) – बसवैया जव्वा 
6. खसरा 648/3 (2.023 हे.) – शांता जव्वा, मोहन जव्वा 
7. खसरा 650/2 (0.809 हे.) – दशरथ जव्वा, कामेश जव्वा 
8. खसरा 651/3 (1.214 हे.) – नागैया यालम 
9. खसरा 631 (4.076 हे.) – बिचमैया टिंगे, चलमैया, शिवैया 
10. खसरा 658/2 (5.031 हे.) – हनुमंत यालम, शंकर, सम्मैया आदि इन सभी खसरा मालिकों के नाम स्पष्ट रूप से आदिवासी हैं और ये जमीनें पीढ़ी-दर-पीढ़ी से उनके पास हैं।

मंडावी ने सवाल उठाया कि बिना ग्रामसभा की अनुमति और जानकारी के इतनी बड़ी रजिस्ट्री व नामांतरण कैसे कर दिया गया? तहसीलदार, पटवारी और उप-पंजीयक पर मिलीभगत का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि यह पूरा प्रकरण आदिवासी अस्मिता और उनके अस्तित्व पर सीधा हमला है। उन्होंने यह भी बताया कि अब जमीन खरीदने वाले व्यक्ति पटवारी पर दबाव डाल रहे हैं कि दस्तावेजों को कंप्यूटर में ऑनलाइन दर्ज किया जाए, जिससे बड़े स्तर की साजिश की आशंका और गहराती जा रही है।

कांग्रेस ने इस घटना को भूमि माफियाओं और भ्रष्ट अधिकारियों द्वारा रचा गया सुनियोजित षड्यंत्र बताया है। विधायक विक्रम मंडावी ने राज्य सरकार से उच्च-स्तरीय न्यायिक जांच कराने, दोषियों पर तत्काल FIR दर्ज करने, सभी अवैध रजिस्ट्रियों को निरस्त करने और जमीनें मूल आदिवासी परिवारों को वापस दिलाने की मांग की है।

इधर पीड़ित ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी जमीनें वापस नहीं मिलीं, तो वे बड़े पैमाने पर आंदोलन के लिए बाध्य होंगे। उनका आरोप है कि पूरी प्रक्रिया को उनसे छुपाकर अंजाम दिया गया और गांव में किसी को इसकी भनक तक नहीं लगी।

प्रेस वार्ता में जिला कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष लालू राठौर, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष शंकर कुड़ियम, पूर्व उपाध्यक्ष कमलेश कारम, पीसीसी सदस्य आर. वेणुगोपाल राव, प्रवीण डोंगरें सहित कई वरिष्ठ नेता और कांग्रेस कार्यकर्ता मौजूद रहे।


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