फ्लोराइडयुक्त पानी से प्यास बुझा रहे छात्र, शिक्षा की प्यास में जहर घोल रही लापरवाही

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100 सीटर छात्रावास में न मोटर चालू, न शौचालय में पानी, जिम्मेदार विभाग की नींद अब तक नहीं टूटी


बीजापुर - शासन भले ही शिक्षा के क्षेत्र में करोड़ों रुपए खर्च कर बच्चों के लिए आश्रम और छात्रावासों का निर्माण कर रहा हो, मगर जमीनी हकीकत कुछ और ही कहानी बयां कर रही है। छात्रावासों में रहकर अध्ययन करने वाले छात्र मजबूर होकर शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं इसका जीता जागता उदाहरण एनएच से सौ मीटर की दूरी पर स्थित शासकीय हाई स्कूल पोटाकेबीन सण्ड्रापल्ली के 100 सीटर की जहां नवमीं और दसवीं के छात्र अध्ययनरथ है जहां आज भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं।

फ्लोराइडयुक्त पानी पीने को मजबूर , शौच के लिए जंगल दौड़ते बच्चें


स्थिति ऐसी है कि जिस माहौल में छात्र रह रहे हैं, उसे देखकर किसी भी अभिभावक बच्चों को रखना नहीं चाहेगा। बच्चों ने बताया कि परिसर में पानी का उपयोग करने के लिए एक हैंडपंप लगा हुआ है जिसका पानी फ्लोराइड युक्त है। हाथों से टेंड़कर ही पानी भरते हैं और पानी को गरम करके पीने योग्य बनाकर ही पीते है।

पोटा केबिन में बने 8 शौचालयों की स्थिति भी दयनीय है किसी में नल की टोंटी नहीं, तो किसी में पानी का कनेक्शन ही नहीं है। बच्चे मजबूरी में शौच के लिए जंगल जाने को मजबूर है क्योंकि किसी में पानी की सप्लाई नहीं है।

सिंटेक्स की चार टकियां और मोटर बना शोपीस


छत पर सिंटेक्स की 4 टंकियां तो लगी हुई है मगर कनेक्शन लगा हुआ नहीं है। कनेक्शन होता तो भी पानी का उपयोग नहीं किया जा सकता था क्योंकि हैंड पंप में मोटर शोपीस बना हुआ है। पिछले दो वर्षों से हैंडपप में मोटर भी खराब है। पोटा केबिन छात्रावास तो है नाम मात्र का मगर सुविधा उनसे भी कोसों दूर है। 

जब इन विषयों पर अधीक्षक ओदल कुमार एल्कुची से बात किया गया तो उन्होंने बताया कि "अधिकारियों को जानकारी दी गई है और जल्द ही इन सभी समस्याओं को निराकरण करने का आसान दिया गया है।"

जहां एक तरफ शासन ने लाखों रुपए खर्च कर बनाए गए छात्रावासों की यह स्थिति सवाल खड़े करती है वहीं जिम्मेदार अधिकारी निरीक्षण के नाम पर केवल कागजी खानापूर्ति क्यों करते हैं? क्या शिक्षा विभाग या जिम्मेदार अधिकारी कभी इस छात्रावास की स्थिति देखने पहुंचे हैं? क्या बच्चों को शुद्ध पेयजल और स्वच्छ शौचालय देना शासन-प्रशासन की प्राथमिकता नहीं है?

अब यह देखना होगा कि जिम्मेदार विभाग कब जागता है और इन मासूम छात्रों को जीवन की बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराता है।



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