ऑपरेटर भी शामिल, माधुरी कंस्ट्रक्शन के नाम पर सचिव के निजी फर्म खाते में ट्रांजैक्शन का खुलासा
बीजापुर - जहां 10 वर्षों से प्राथमिक शाला भवन जर्जर और गिरने की स्थिति में हो और बच्चे 6 वर्षों से किचन शेड में पढ़ रहे हैं उस भवन पर रनिंग वाटर का कार्य कागजों में दिखाकर एक लाख बीस हजार रुपए पंचायत के जिम्मेदारों में डकार लिया।
अब पुनः उन जिम्मेदारों का नया कारनामा सामने आया है जिन्हें ग्राम पंचायत के विकास कार्यों के लिए चुना और नियुक्त किया गया। ग्राम पंचायत गुन्लापेटा के पूर्व सरपंच सुरेश और भ्रष्ट सचिव हरिगोपाल पेंदम के एक और मामले का खुलासा हुआ है। गुन्लापेटा में स्थित राशन दुकान (सोसायटी भवन) की मरम्मत के नाम पर लाखों की राशि आहरण कर कागजों में मरम्मत कर दिया।
मई 2024 में रिपेयर के नाम पर लाखों का खेल
दस्तावेज बताते हैं कि मई 2024 में पंचायत द्वारा सोसायटी और पंचायत भवन की मरम्मत के नाम पर कई बिल पास किए गए जिसमें सोसायटी रिपेयर 45,000 रूपये, सोसायटी एवं पंचायत भवन मजदूरी भुगतान 1,00,000 रूपये, सोसायटी रिपेयर (दूसरा बिल) 48,500 रूपये, सोसायटी रिपेयर (तीसरा बिल) 48,500 रूपये कुल राशि 2,42,000 रुपये, जो कि मरम्मत कार्य के नाम पर निकाली गई।
सितंबर 2024 में फिर दोहराया गया खेल
इतना ही नहीं सितंबर 2024 में फिर राशन दुकान मरम्मत के नाम पर 10,000 और 90,000 रूपये का भुगतान "माधुरी कंस्ट्रक्शन" नामक वेन्डर को उसके खाते में किया गया। लेकिन भ्रष्टाचार की असली परत तब खुली जब तीसरा बिल 1,00,000 रुपये का भी उसी वेन्डर के नाम से लगाया गया, मगर रूपये भ्रष्ट सचिव हरि गोपाल पेंदम की निजी फर्म “पेंदम सीमेंट ब्रिक्स” के झोली में आ गये।
यानि सरपंच, भ्रष्ट सचिव महोदय और आपरेटर व्दारा खेल खेला गया। आपरेटर को भी मलाई मिला होगा तभी उसने खाता नम्बर को बदल दिया। वेन्डर माधूरी कंस्ट्रक्शन का ही बिल लगाया गया मगर खाता नम्बर बदल कर "पेन्दम सीमेंट ब्रिक्स" का खाता नम्बर जोड़ा गया ताकि पूरे 1,00,000 रूपये खुद के झोली में आकर गिरे।
कुल 4.42 लाख रुपये की रकम हड़पी?
इन सभी भुगतानों को मिलाकर कुल 4,42,000 रुपये का आहरण राशन दुकान (सोसायटी रिपेयर) के नाम पर किया गया, जबकि मौके पर कोई वास्तविक कार्य नहीं दिखा। जब भवन की वास्तविकता देखा गया और ग्रामीणों ने भी बताया कि "मात्र दो रूम के नीचे में प्लास्टर किया गया।
सवाल यह भी है कि जब मरम्मत का काम हुआ ही नहीं, तो भुगतान किस आधार पर किया गया? बिल वेंडर का और राशि सचिव के फर्म खाते में कैसे? सरपंच, सचिव और ऑपरेटर की तिकड़ी सरकारी धन को अपनी निजी कमाई का जरिया बना चुके है। मामला पूरी तरह हेराफेरी का है। अब जिला प्रशासन को खुद निष्पक्ष जांच कर उचित कार्रवाई करते हुए वसूली करनी चाहिए ताकी लोगों का प्रशासन पर भरोसा बना रहे।

