बीजापुर - स्वतंत्रता दिवस का यह जश्न इस बार बीजापुर जिले के लिए अलग रहा। दशकों तक नक्सली भय की छाया में जीने वाले गाँवों से आए बच्चों ने पहली बार जिला मुख्यालय में आजादी का उत्सव देखा और स्वतंत्र भारत का असली अहसास पाया।
जिला प्रशासन की पहल पर भोपालपटनम, भैरमगढ़, उसूर और बीजापुर ब्लॉक के 11 गाँवों के शाला त्यागी और अप्रवेशी बच्चों को "लंच विद कलेक्टर" कार्यक्रम में शामिल किया गया। कभी स्कूल बंद रहने और शिक्षा से कटे इन बच्चों ने अब किताबों और सपनों की दुनिया को नई रोशनी में देखना शुरू किया है।
कलेक्टर ने बच्चों के साथ बैठकर भोजन किया और उनसे खुलकर बातचीत की। इस दौरान करका गाँव की लक्ष्मी और अनन्या ने पूछा - डॉक्टर और टीचर बनने के लिए कितना पढ़ना पड़ेगा? बच्चों के इस जिज्ञासापूर्ण सवाल ने कार्यक्रम का माहौल भावुक बना दिया। कलेक्टर ने उन्हें मेहनत और नियमित पढ़ाई का महत्व समझाया और उच्च शिक्षा की राह दिखाते हुए नीट व बीएड जैसी परीक्षाओं का जिक्र किया।
इसी तरह कोंडापल्ली और भट्टीगुड़ा के वे बच्चे, जो वर्षों तक स्कूल से दूर रहे, अब दोबारा पढ़ाई की राह पर लौटे हैं। कलेक्टर ने उनकी सराहना करते हुए कहा कि यह सिर्फ शुरुआत है, आगे नियमितता ही उन्हें उनके सपनों तक पहुँचाएगी।
इन बच्चों ने पहली बार स्वतंत्रता दिवस की परेड देखी। मार्चपास्ट की गूंज और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने उन्हें मंत्रमुग्ध कर दिया। तालियों की गड़गड़ाहट से उनका उत्साह साफ झलक रहा था। इसके बाद जब उन्हें सेंट्रल लाइब्रेरी और एजुकेशन सिटी घुमाया गया तो बच्चों की आँखों में एक नए भविष्य की चमक दिखी। बस की पहली सवारी ने उनके लिए यह दिन और यादगार बना दिया।
वेंडे स्कूल दायकाल अभियान के तहत बीजापुर जिले के 20 वर्षों से बंद पड़े स्कूलों को इस साल पुनः संचालित किया गया है। शांति, विकास और सुरक्षा अभियान के तहत प्रशासन ने नियद नेल्लानार जैसे दुर्गम इलाकों में 16 स्कूल खोलकर शिक्षा की नई बुनियाद रखी है।
इस अवसर पर जिला पंचायत सीईओ नम्रता चौबे, एडिशनल कलेक्टर भूपेंद्र अग्रवाल, एडीएम जागेश्वर कौशल, डिप्टी कलेक्टर नारायण प्रसाद गवेल, डीईओ लखन लाल धनेलिया, सहायक आयुक्त देवेंद्र सिंह, एपीसी जाकिर खान समेत कई अधिकारी मौजूद रहे।

