बस स्टैंड या नशे का ठिकाना? हर कोने में शराब की बोतलें, दीवारों पर नशे का प्रचार - “गांजा पीना सेहत के लिए फायदेमंद है!”

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जहां यात्रियों का स्वागत होना था, वहां नशे की महफिलें सज रही


बीजापुर - भोपालपटनम नगर के हृदय स्थल पर स्थित बस स्टैंड अब आवागमन का केंद्र नहीं, बल्कि अव्यवस्था, गंदगी और नशे के खुले प्रदर्शन का अड्डा बन चुका है। टूटी छतें, हर कोने में फैला गोबर, बिखरी शराब की बोतलें और बदबूदार गंदगी नगर पंचायत के बदहाल व्यवस्था को बयां कर रहा हैं। हैरानी की बात यह है कि यहां खुलेआम नशे का प्रचार भी जारी है, जिससे यह स्थान अब यात्रियों के लिए नहीं, बल्कि नशेड़ियों के लिए सुरक्षित ठिकाना बनता जा रहा है।

दीवारें भी खामोश नहीं, नशे का संदेश देने लगी


बस स्टैंड की दीवारों पर बड़े-बड़े अक्षरों में बेहिचक लिखा है - “गांजा पीना सेहत के लिए फायदेमंद है।” यह नजारा देख कोई भी समझ सकता है कि नगर पंचायत आंखें मूंदकर बैठा हैं या फिर यह नशे के खिलाफ सिर्फ कागजों में जंग लड़ रहा है।

जहां सरकार नशामुक्ति का ढोल पीटती है, वहीं नगर के सबसे व्यस्त सार्वजनिक स्थल पर नशे का ऐसा खुला प्रचार नगर प्रशासन की उदासीनता और नाकामी की तस्वीर पेश करता है। क्या अब दीवारें भी समाज को गुमराह करने का जरिया बन चुकी हैं? और अगर हां, तो जिम्मेदार कौन?

शराब की खाली बोतलें, सुविधा नहीं बदहाली की नई पहचान



शौचालयों की स्थिति पहले से ही दयनीय थी, अब ये स्थान गंदगी के साथ नशेड़ियों का अड्डा भी बन गए हैं। चारों ओर शराब की खाली बोतलें बिखरी पड़ी हैं। फर्श से लेकर शौचालय के अंदर तक बोतलें लुढ़की नजर आती हैं, लेकिन नगर पंचायत को मानो इसकी कोई फिक्र ही नहीं। सवाल यह है कि स्वच्छता अभियान की हकीकत आखिर जमीन पर कब नजर आएगी?

यह बस स्टैंड नहीं, नशे और बदहाल व्यवस्था की खुली पाठशाला


जहां सरकार और समाज नशा मुक्ति की अपील कर रहे हैं, वहीं भोपालपटनम का बस स्टैंड नशे के खुले प्रचार और बदहाल व्यवस्था का अड्डा बन चुका है। सवाल यह उठता है कि क्या नगर प्रशासन को इन दीवारों पर लिखे संदेश दिखाई नहीं देते? या फिर यह भी उनके कागजों में ‘स्वच्छता अभियान’ की तरह फाइलों में सिमट कर रह गया है?

ऐसे माहौल में नशे के खिलाफ जंग नहीं, बल्कि लापरवाही और बेशर्मी का खुलेआम प्रदर्शन हो रहा है।


अब सवाल जनता का – ‘कब जागेगा प्रशासन? बस स्टैंड की बदनामी रुकेगी या और बढ़ेगी?’

बस स्टैंड की हालत और नशे के प्रचार ने नगर पंचायत की कार्यशैली पर बड़ा प्रश्नचिह्न लगा दिया है। क्या यह बस स्टैंड यूं ही अव्यवस्था, गंदगी और नशे के जहर में डूबा रहेगा, या कभी इसे वाकई यात्रियों के स्वागत योग्य बनाया जाएगा?



फिलहाल तो दीवारें बता रही हैं - “गांजा पीना सेहत के लिए फायदेमंद है”, और नगर पंचायत इस गूंज के बीच पूरी तरह से खामोश है!



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