बीजापुर - जिलें में चलाए जा रहे माओवादी उन्मूलन अभियान के अंतर्गत आज एक बड़ी सफलता हाथ लगी, जब कुल 22 माओवादियों ने पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण किया। इन आत्मसमर्पित माओवादियों में PLGA बटालियन नम्बर 01 का सदस्य, तेलंगाना स्टेट कमेटी के CRC कंपनी नम्बर 02 का सदस्य, ACM रैंक के सदस्य, मिलिशिया डिप्टी कमांडर, जनताना सरकार के सदस्य समेत विभिन्न जिम्मेदार पदों पर रहे माओवादी शामिल हैं। इनमें से चार माओवादियों पर कुल 26 लाख रुपये का इनाम घोषित था।
विकास और सरकार की नीतियों ने बदला नजरिया
पुलिस और प्रशासन द्वारा माओवाद प्रभावित क्षेत्रों में निरंतर किए जा रहे विकास कार्य, जैसे सड़क निर्माण, बिजली, पानी, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की पहुँच, ने माओवादियों को सोचने पर मजबूर किया। इसके अलावा छत्तीसगढ़ शासन की आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति और नियद नेल्लानार योजना से प्रभावित होकर भी इन माओवादियों ने आत्मसमर्पण का मार्ग चुना।
आत्मसमर्पण का यह कार्यक्रम पुलिस उप महानिरीक्षक केरिपु बीजापुर श्री देवेन्द्र सिंह नेगी, पुलिस अधीक्षक बीजापुर डॉ जितेन्द्र कुमार यादव सहित सुरक्षा बलों के वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में सम्पन्न हुआ। समर्पण करने वाले माओवादियों को प्रोत्साहन स्वरूप 50-50 हजार रुपये के चेक भी प्रदान किए गए।
आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों ने बताया कि वे संगठन के भीतर हो रहे शोषण, उपेक्षा और आंतरिक मतभेदों से परेशान थे। अब वे समाज की मुख्यधारा से जुड़कर एक सुरक्षित और सम्मानजनक जीवन जीने की इच्छा रखते हैं।
सुरक्षा बलों की सक्रियता और नक्सल विरोधी अभियान सफल
बीजापुर जिले में डीआरजी, बस्तर फाइटर, एसटीएफ, केरिपु और कोबरा बलों की संयुक्त कार्यवाही ने संगठन को बड़ी क्षति पहुंचाई है। 01 जनवरी 2025 से अब तक 172 माओवादी गिरफ्तार, 179 ने आत्मसमर्पण और 83 मारे गए हैं। यह आँकड़े क्षेत्र में माओवाद के खात्मे की ओर मजबूती से बढ़ते कदमों का प्रमाण हैं।
पुलिस अधीक्षक डॉ. जितेंद्र कुमार यादव ने बाकी माओवादियों से भी आत्मसमर्पण की अपील की है। उन्होंने कहा कि सरकार की पुनर्वास नीति से कई माओवादी प्रभावित हुए हैं और उनके परिवार भी चाहते हैं कि वे लौटकर सामान्य जीवन जिएं।
इस आत्मसमर्पण के साथ शीर्ष माओवादी कैडर को बड़ा झटका लगा है और नक्सल मुक्त बस्तर की परिकल्पना अब साकार होती दिख रही है।


