“सिस्टम का दोषी निकला जिम्मेदार अधिकारी!”, 15वें वित्त की राशि को हड़प गया मुख्य कार्यपालन अधिकारी

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बीजापुर - जिसे शासन-प्रशासन ने ग्राम विकास की धुरी माना, वही जिम्मेदार अफसर विकास को निगल गया। ग्राम पंचायतों के साथ गठजोड़ कर भोपालपटनम जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी दिलीप उईके (डिप्टी कलेक्टर) ने 15वें वित्त की राशि में गलत तरीके से सेंधमारी कर डाली। मरम्मत, जीर्णोद्धार, रनिंग वाटर और साफ-सफाई जैसे कार्यों के नाम पर लाखों रुपए निकाल लिए गए, लेकिन धरातल पर हकीकत शून्य निकली।


शौचालय, रनिंग वाटर और बैठक हॉल की राशि कागजों में खर्च, धरातल पर सन्नाटा



ताजा मामला जनपद पंचायत के शौचालयों, बैठक हाॅल और स्वास्थ्य केंद्र की मरम्मत का है। सीईओ दिलीप उईके द्वारा जनपद पंचायत भवन के शौचालय की मरम्मत, रनिंग वाटर और साफ-सफाई के नाम पर ग्राम पंचायत भद्रकाली के खाते में 08 जुलाई 2024 के 1,50,000 और व्दितीय बार 26 जुलाई 2024 के 3,49,014 राशि कुल 4,99,014 रुपए ट्रांसफर किए गए। इसी तरह, कन्या पोटा केबिन कोत्तूर और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कोत्तूर के जीर्णोद्धार के लिए 18 अक्टूबर 2024 के 1,50,000 रुपए और जनपद पंचायत कार्यालय के बैठक हाॅल की मरम्मत के नाम पर 2,40,000 रुपए ग्राम पंचायत कोत्तूर के खाते में डाले गए।



हालांकि, जब इन कार्यों की जांच की गई तो स्थिति बिल्कुल विपरीत पाई गई। जनपद कार्यालय के शौचालय में टाइल्स भी कई-कई टूटे हुए हैं पुरुष शौचालय गुटखों की थूक से भरी पड़ी है, प्लाई का दरवाजा जो नया दिख रहा है। बैठक हॉल के छत पर पानी के धब्बे, वायरिंग के लिए दीवाल पर किए गए छेद और हाॅल की स्थिति देखने से नहीं लग रहा कि उस पर 2,40,000 रुपए खर्च कर कोई मरम्मत किया गया है।



कन्या पोटा केबिन कोत्तूर के परिसर में तो जा नहीं पाए मगर वहां की अधीक्षिका से मोबाइल पर संपर्क हुआ तो उन्होंने कहा "कार्य किया गया है।" कन्या पोटा केबिन कोत्तूर शौचालय में भी लाखों के भ्रष्टाचार की विस्तृत समाचार भाग 2 में प्रकाशित किया जाएगा।



अब बात प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कोत्तूर की तो पदस्थ स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी के द्वारा अपने बयान कहा गया कि - "यहां पर कोई भी मरम्मत या जीर्णोद्धार का कार्य नहीं किया गया।"



जितनी भी राशि आहरण की गई मात्र कागजों पर मरम्मत और निर्माण दिखाकर लाखों रुपए निकाल ली गई। लेकिन जब इन कार्यों का धरातल पर जांच किया गया स्थिति बिल्कुल उजागर हो गई - न कोई काम हुआ, न कोई सुधार दिखा। सब कुछ सिर्फ कागजों पर ही हुआ।


बयानबाज़ी में भी पर्देदारी


2 दिनों से तीन पंचायतों में सचिवों द्वारा 15वें वित्त की राशि में गड़बड़ी की खबरें  प्रकाशित हो रही है तो सीईओ दिलीप उईके ने दावा किया था - “15वें वित्त की राशि का भुगतान पूरी तरह से डिजिटल और ऑनलाइन होता है। अगर किसी सचिव ने गड़बड़ी की है, तो जांच कर कार्रवाई होगी।”


लेकिन अब सवाल यह है कि जब सचिव की जवाबदेही मुख्य कार्यपालन अधिकारी के अधीन है, और वही अधिकारी भ्रष्टाचार में लिप्त है, तो फिर न्याय की उम्मीद किससे की जाए?


विकास का गला घोंटने वाला सिस्टम


सरकार द्वारा विकास के लिए भेजी गई राशि का इस तरह से दोहन यह साबित करता है कि सिस्टम के भीतर ही सिस्टम को खोखला करने वाले बैठे हैं। ऐसे में जब जिम्मेदार अधिकारी ही खुद भ्रष्टाचार का केंद्र बन जाए, तो ग्रामीण विकास सिर्फ एक दिखावा बनकर रह जाता है।


आखिर किसकी मिलीभगत से यह सब संभव हुआ?

क्या जांच केवल सचिवों तक सीमित रहेगी या बड़े अफसरों पर भी होगी कार्रवाई?

जनता के टैक्स का पैसा इस तरह लूटा जाएगा तो जवाबदेही किसकी होगी?


अब वक्त है कि भ्रष्टाचार के इस दलदल से निकलने के लिए शासन एक कड़ा उदाहरण पेश करे। नहीं तो आने वाले समय में ‘विकास’ सिर्फ कागज़ों में रहेगा और जमीनी हकीकत सिर्फ धोखा बनकर रह जाएगी।



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