50 वर्षों की परंपरा को नया आयाम, भोपालपटनम में शिव-पार्वती का ऐतिहासिक विवाह

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बीजापुर - महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर जिले के भोपालपटनम में स्थित प्राचीन शिव मंदिर में भव्य तैयारियाँ पूरी हो चुकी है। मंदिर परिसर को विशेष रूप से साफ-सुथरा कर रंगाई-पुताई की गई है, वहीं भव्य फूलों, रोशनी और पारंपरिक सजावट से सारा वातावरण भक्तिमय हो गया है। महाशिवरात्रि के अवसर पर हर साल की तरह इस बार भी तीन दिवसीय विशाल मेले का आयोजन किया जा रहा है, जो 25 फरवरी से 28 फरवरी तक चलेगा। इस दौरान शिव-पार्वती विवाह और शोभायात्रा मेले के मुख्य आकर्षण रहेंगे। मेले में छत्तीसगढ़ के अलावा तेलंगाना, आंध्रप्रदेश और महाराष्ट्र से व्यापारी अपनी दुकानें लेकर पहुंचे हैं, जिससे बाजारों में रौनक बढ़ गई है।


आज 25 फरवरी की सुबह मंदिर प्रांगण में मंडपाच्छादन और जलाभिषेक के साथ मेले का शुभारंभ हुआ। रात 8 बजे भगवान शिव की बारात निकाली जाएगी, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु उमड़ते है। इस शिव मंदिर में तेलुगू परंपरा के अनुसार हर साल भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह पूरे विधि-विधान से संपन्न होता है।


मंदिर का इतिहास और महत्व




भोपालपटनम के इस प्राचीन शिव मंदिर का निर्माण वर्ष 1857 में तंजाउर परिवार द्वारा किया गया था। प्रारंभ में इस मंदिर में एक छोटा सा गर्भगृह था, जहाँ शिवलिंग की स्थापना की गई थी। समय के साथ इस मंदिर का विस्तार किया गया और वर्ष 1978 में इलाहाबाद से मूर्तियाँ लाकर यहाँ पारंपरिक तेलुगु रीति-रिवाज के अनुसार उनकी स्थापना और प्राण-प्रतिष्ठा की गई। इस पावन कार्य को संपन्न कराने के लिए विशेष रूप से ओडिशा और आंध्रप्रदेश से विद्वान पंडितों को आमंत्रित किया गया था, जिन्होंने पूरे अनुष्ठान को 4-5 दिनों में विधिपूर्वक संपन्न कराया।


मंदिर के विस्तार और जीर्णोद्धार में के.के. सिंह जी, रामवीर सिंह जी, और मारुति कापेवार जी का महत्वपूर्ण योगदान रहा, लेकिन यदि विशेष योगदान की बात की जाए तो स्व. कृष्णा गुज्जा जी का नाम सबसे पहले आता है। उन्होंने मंदिर के जीर्णोद्धार में जगदलपुर के व्यापारियों से सहयोग प्राप्त कर इस धार्मिक स्थल को भव्य स्वरूप प्रदान किया। वर्ष 1978 में प्राण-प्रतिष्ठा के बाद 1980 से यहाँ महाशिवरात्रि के अवसर पर मेले की शुरुआत हुई, और तब से लेकर आज तक हर वर्ष इस परंपरा को उत्साहपूर्वक निभाया जा रहा है।


महाशिवरात्रि उत्सव का तीन दिवसीय कार्यक्रम




पहला दिन (25 फरवरी) - मेले की शुरुआत सुबह 9 बजे मंदिर प्रांगण में मंडपाच्छादन और जलाभिषेक के साथ प्रारंभ कर दिया गया है। रात 8 बजे शिवजी की बारात का स्वागत किया जाएगा, जिसमें श्रद्धालु भक्ति संगीत के साथ नृत्य करते हुए शामिल होंगे। इस दिन मंदिर परिसर और मेला स्थल पर विशेष सजावट की जाएगी, जिससे पूरा क्षेत्र भक्तिमय माहौल में डूब जाएगा।


दूसरा दिन (26 फरवरी) - दूसरे दिन सुबह 4 बजे से 5:30 बजे तक मंदिर के गर्भगृह में विशेष अभिषेक का आयोजन किया जाएगा। इसके पश्चात, सुबह 10:30 बजे से हवन का कार्यक्रम प्रारंभ होगा, जिसमें श्रद्धालु अपनी आस्था के अनुसार भाग ले सकेंगे। दोपहर 1:30 बजे से शिव-पार्वती विवाह का भव्य आयोजन किया जाएगा, जिसमें विवाह की हर रस्म को पारंपरिक तरीके से निभाया जाएगा। रात 8 बजे शोभायात्रा निकाली जाएगी, जिसमें शिवजी की सवारी को घुमाया जाएगा।


तीसरा दिन (28 फरवरी) - मेले के अंतिम दिन यानी 28 फरवरी को शाम 7 बजे से शिव मंदिर समिति के द्वारा विशाल भंडारे का आयोजन किया जाएगा, जिसमें सैकड़ों श्रद्धालु प्रसाद ग्रहण करेंगे और भगवान शिव की कृपा प्राप्त करेंगे।


मेले का आयोजन और श्रद्धालुओं का सहयोग




इस विशाल मेले के आयोजन के लिए विशेष रूप से व्यवस्थाएँ की जाती हैं। यहाँ आने वाले व्यापारियों से स्वेच्छा के अनुसार चंदा लिया जाता है, और मंदिर की दानपेटी में जमा हुए पैसों से इस आयोजन की व्यवस्था की जाती है। इसके अलावा, कई भक्तगण भी अपनी इच्छा से इस आयोजन के लिए आर्थिक सहयोग प्रदान करते हैं, जिससे मेला हर वर्ष और भव्य रूप में आयोजित किया जाता है। इस वर्ष भी महाशिवरात्रि का यह पारंपरिक मेला आज से आरंभ हो गया है।


व्यापारियों और श्रद्धालुओं की उमड़ने वाली भीड़




भोपालपटनम के इस ऐतिहासिक मेले में न केवल छत्तीसगढ़, बल्कि तेलंगाना, आंध्रप्रदेश और महाराष्ट्र से भी बड़ी संख्या में व्यापारी अपनी दुकानें लगाते हैं। मेले में कपड़े, खिलौने, घरेलू उपयोग की वस्तुएँ, और सजावटी समान की अनेक दुकानें सजती हैं। इसके अलावा, विभिन्न प्रकार के स्वादिष्ट व्यंजनों के स्टॉल भी श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र होते हैं। मेले में बच्चों के लिए झूले और मनोरंजन के अन्य साधन भी उपलब्ध रहते हैं।


श्रद्धालुओं की भीड़ भी इस मेले में विशेष रूप से देखने लायक होती है। छत्तीसगढ़ के अलावा तेलंगाना, आंध्रप्रदेश, और महाराष्ट्र से बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहाँ भगवान शिव के दर्शन और मेले का आनंद लेने के लिए पहुंचते हैं। मेले की रौनक दिन-रात बनी रहती है, और पूरा क्षेत्र भक्ति के रंग में रंगा हुआ नजर आता है।


सुरक्षा व्यवस्था और प्रशासनिक तैयारियाँ


मेले के सफल आयोजन के लिए स्थानीय प्रशासन और मंदिर समिति द्वारा विशेष प्रबंध किए गए हैं। सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के लिए पुलिस बल तैनात किया जाएगा ताकि किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना को रोका जा सके। इसके अलावा, श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए पेयजल, चिकित्सा शिविर और स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जाएगा।


भक्तों की अपार श्रद्धा और भक्ति का माहौल


महाशिवरात्रि के इस पर्व पर भोपालपटनम में चारों ओर "हर हर महादेव" के जयकारों की गूँज सुनाई देती है। शिवलिंग पर जलाभिषेक करने के लिए श्रद्धालु लंबी कतारों में खड़े होकर अपनी बारी का इंतजार करते हैं। विशेष रूप से शिव-पार्वती विवाह के समय पूरा क्षेत्र एक विवाह मंडप जैसा प्रतीत होता है, जहाँ हर श्रद्धालु अपने आपको इस दिव्य विवाह का साक्षी मानता है।


समापन और भावपूर्ण विदाई


तीन दिनों तक चलने वाले इस भव्य मेले का समापन 28 फरवरी को शाम 7 बजे होने वाले विशाल भंडारे के साथ किया जाएगा। इस दौरान भक्तजन भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त कर प्रसाद ग्रहण करेंगे और इस पावन आयोजन की स्मृतियों को अपने साथ लेकर लौटेंगे।


भोपालपटनम का यह ऐतिहासिक मेला न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत और सामाजिक एकता का भी प्रतीक बन गया है। हर वर्ष यह आयोजन श्रद्धालुओं के लिए एक यादगार अनुभव बन जाता है, और लोग अगले वर्ष के मेले की प्रतीक्षा करने लगते हैं।



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